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प्रतिमा ]
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म्बर सम्प्रदाय में पाँच अणुव्रतों के साथ सात शीलवतों के पाउने है। हाँ, शीलवन में अतिचार बचाने की ज़रू
' का भी विधान
रत नहीं है।
सामायिक - प्रातःकाल, मध्याह्नकाल और सन्ध्यासमय निरतिचार सामायिक करना ।
प्रोषध - अष्टमी चतुर्दशी अमावस और पूर्णिमा को उपवास करना । दिगम्बर सम्प्रदाय में सिर्फ अष्टमी चतुर्दर्शी का विधान है ।
पडिमापडिमा - अष्टमी और चतुर्दशी को रात्रि में कायोत्सर्ग करना, स्नान नहीं करना; दिन में ही भोजन लेना; काँछ नहीं लगाना; दिन में सदा ब्रह्मचर्य रखना और पर्व - दिनों में रात्रि में भी ब्रह्मचर्य रखना, शेष दिनों में भी परिमित ब्रह्मचर्य रखना, कायोत्सर्ग में जिनेन्द्र का ध्यान करना और अपने दोष देखना | अब्रह्मवर्जन- पूर्ण ब्रह्मचर्य पालन करना ।
अचिचाहार वर्जन- वनस्पति तथा कबे पानी आदि का
त्याग करना ।
हूँ निरतिक्रमणमणुव्रत पञ्चकमपि शीलसतकं चापि । धारयते निःमा यो योऽसा प्रतिनाम्मतो प्रतिकः ॥
* सम्ममन्य उपाय सिक्खावयविशेष नाणीय | अभि उसी पडिमं ठायगराईयं ॥ अणाण बिडमोई मउलिकडो दिवस ब्रह्मचारी ब । राई परिमाणको पडिया बच्चेस दियहेस ।
शायद पडिमा ठिओ। तिलांएपुज्जे जिणे जियकसाए । निदोस पचणीय अन्नं वा पंच जामासा ॥