Book Title: Jain Dharm Mimansa 03
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 376
________________ सत्यभक्त साहित्य सत्यसमाज के संस्थापक स्वामी सत्यभक्तजी ने धार्मिक सामाजिक राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय तथा जीवन शुद्धि विषयक जो विशाल माहित्य रचा है, जो ग्य, पद्य, नाटक, कथा आदि अनेक रूप में बुद्धि और. मन पर असाधारण प्रभाव डालनेवाला है उसे एकबार अवश्य पढ़िये । १ सत्यामृतमानव-धर्म-शास्त्र [ दृष्टिकांड ]. १) २ सत्यामृत [ आचारकांड) ऐसा महाशास्त्र जो सब धर्मों का निचोड़ कहा जा सकता है और जिसमें धार्मिक सामाजिक राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय व्यावहारिक आध्यात्मिक आदि जीवन के हर पहलू पर पूरा प्रकाश डाला गया है और जो अनेक दृष्टियों से मौलिक है। ३ निरतिवाद-भारत की परिस्थिति के अनुसार। साम्यवाद का रूप... १ सत्य-संगीत-सर्वधर्मसमभावी प्रार्थनाओं और जीवन-शेधक गीतों का संग्रह.... ५ कुरान की झांकी-कुरान में आये हुए उपदेशों का संग्रह ) ६ जैनधर्म-मीमांसा [भाग १].... ७ जैनधर्म-मीमांसा [ भाग २]..... ८ जैनधर्म मीमांसा (भाग ३) .... , जैनधर्म में आई ई विकृतियों और उसकी अपूर्णता को हटाकर उसका संशोधित रूप ।

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