________________
दशधर्म ]
[ २८७
समाधान-इनको ऐसे काम दिये जावें जिन्हें कि आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद न होने से कोई न करता हो । देश में ऐसे बहुत से काम होते हैं जो आवश्यक होने पर भी बहुव्ययसाध्य होने से उसके लिये कोई पैसा खर्च नहीं करता । ऐसे काम इन लोगों से लेना चाहिये । मानलो गाँव के बाहर एक ऐसी ज़मीन है जहाँ लोग शाम को घूमने जा सकते हैं, परन्तु जमीन इतनी ऊबड़ खाबड़ तथा पथरीली है कि कोई उसका उपयोग नहीं करता। म्युनिसिलिटी या ग्राम्यसंघ में पैसे की इतनी गुंजायश नहीं है कि वह मजूर लगाकर यह काम कग सके, और गाँव का कोई श्रीमान भिक्षुकों को मुट्ठीभर अनाज रोज़ देता है । अ६ अगर वह इस शर्त पर अनाज दे कि सब भिक्षुक पन्द्रह मिनिट तक वह जमीन साफ़ करें तो थोड़े ही दिनों में वह बिलकुल साफ हो जायगी। अपर इससे भी मजूगेकी मजरी मारी जाती हो तो और कोई काम देखना चाहिये । यह तो एक उदाहरण मात्र है। और इस तरह के काम दूंटे जा सकते हैं जो भिक्षुकों से कराये जाय किन्तु उसके लिये किसी को बेकार न होना पड़े । इस प्रकार करुगादान में अगर विक से काम लिया जाय तो अकर्मण्य लोग करुणास्पद बनने का ढोंग न करेंगे, तथा यह दान व्यापक रूप में लोकोपकारक सिद्ध होगा। हाँ, जो लोग किसी कारण से कोई काम करने लायक न हों तो उनको वैसे ही मदद की जाय । क्योंकि इसका क्या ठिकाना कि हमारी कभी दुरवस्था न होगी। उस समय इस सुनियम का सुफल हमें भी मिलेगा । परोपकार क्यों आवश्यक है, इस विषय में प्रथम अध्याय में लिखा गया है ।