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अपरिग्रह]
[१५३ परिग्रह पाप-जिसको दुनियाँ ने अभी तक एक स्वर से पाप नहीं माना है-कितना दुःखप्रद है, यह बात साम्राज्यवाद के इतिहास से अच्छी तरह जानी जा सकती है । साम्राज्य और श्रीमान होना बुरा नहीं है, किन्तु साम्राज्यवाद और पूँजीवाद बुरा है। वास्तव में यही परिग्रह है । अगर आज दुनिया भर के देशों का एक साम्राज्य बना दिया जाये जिससे एक राज्य दूसरे से म लड़ सके अर्थात् युद्ध एक गैरकानूनी चीज़ ठहर जाय, तो यह साम्राज्य बुरा नहीं है; परन्तु साम्राज्यवाद का यह लक्ष्य नहीं होता। इससे तो निर्बल गरीब और भोले मनुष्य, बदमाश और सबलों से पीसे जाते हैं । इसी प्रकार श्रीमान और पूंजीवाद में अन्तर है। जहाँ धन से धन पैदा न किया जाता हो वहाँ श्रीमत्ता है, पूँजीवाद नहीं । पूँजीवाद क्या है, उसका भयंकर रूप ऊपर बता दिया गया है।
यह न समझना चाहिये कि बड़े बड़े श्रीमान ही पूँजीवादी होते हैं। सम्भव है कि श्रीमान भी पूँजीवादी न हो और मध्यम तथा और भी नीची श्रेणी के मनुष्य भी पूँजीवादी हों; क्योंकि जब साधारण गृहस्थ भी श्रीमान बनना चाहता है तब वह पुराने श्रीमान से भी भयंकर हो जाता है । वह अपनी छोटी-सी पूंजी से भी अधिक से अधिक धन पैदा करता है, तथा बहुसंख्यक होने से
भी यही दशा हुई । वहाँ के मूलनिवासियों का तो अस्तित्व भी नहीं के बराबर हो गया है।
* फ्रान्स के जिन किसानों और मजदूरों ने मोरक्को की