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ब्रह्मचर्य ]
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दूसरी है कि आज इस प्रथा की आवश्यकता नहीं है । अब त गोद लेने का रिवाज़ प्रचलित है तथा जनसंख्या भी बढ़ रही है । अगर किसी समय इस प्रथा की आवश्यकता हो तो इसे व्यभिचार कदापि नहीं कह सकते, वह आरम्भी मैथुन ही कहलायेगा | व्यभिचार में हिंसकता या चौर्य व सना और असत्य श्रितता है परन्तु नियोग में इनमें से कुछ भी नहीं है । इसलिये भी यह संकल्पी मैथुन में नहीं आ सकता ।
के लिये अधिक से
प्रश्न- किसी देश में विवाह की प्रथा ऐसी हो जिससे विवाहित स्त्रियों का स्थान पुरुष की अपेक्षा नीचा हो जाता हो. इसलिये कोई स्त्री इस प्रकार स्त्रीत्व का अपमान करना स्वीकार न करे इसलिये, अथवा यह सोचकर कि संतान अधिक बलिदान तो स्त्री को करना पड़ता है अधिकांश स्वामित्व और नाम पुरुष के जाता है इसलिये, अथवा और किसी कारण से कोई स्त्री विवाहित जीवन अस्वीकार करके गर्भाधान मात्र के लिये किसी पुरुष से क्षमिक सम्बन्ध स्थापित करे तो + इसे आप व्यभिचार करेंगे या आरम्भी मैथुन !
और संतान का
उत्तर--हिंसकता या चौर्य-वासना और असत्याश्रितता आदि व्यभिचार के दोष यहाँ भी बिलकुल नहीं पाये जाते इसलिये इसे भी संकल्प मैथुन या व्यभिचार नहीं कह सकते । यह भी आरम्मी मैथुन है; शर्त यह है कि उसका यह सम्बन्पर-पुरुष
+ कुछ वर्ष हुए जत्र इंग्लैंड की एक बाईन - जिसका नाम मैं भूल गया हूँ - इसी प्रकार सम्बन्ध किया था। इस विषयका उसने आन्दोलन खड़ा कर दिया
था ।