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ब्रह्मचर्य ]
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वेश्याओं की सृष्टि है । इससे आगे ज्योंही वह संबंध बढ़ा त्योंही
व्यभिचार हो गया ।
शंका-विवाहित पुरुष बेश्या सेवन से व्यभिचारी कहलावे, यह तो ठीक है क्योंकि वह जानता है कि 'मैं विवादित हूँ' । परंतु वेश्या तो नहीं जानती कि 'यह पुरुष विवाहित है या अविवाहित ' इसलिये उसका क्या दोष ?
समाधान - वेश्या के लिये इस विषय में कुछ असुविधा जरूर है, परन्तु शुद्ध मन से उसे इस बात की जांच करना चाहिये और पता लग जाने पर उसको पास न आने देना चाहिये, और उससे अपत्नीक होने का वचन ले लेना चाहिये | शक्य उपायों के कर लेने पर भी अगर बोई धोका दे माय तो वेश्या व्यभिचार के दोष से मुक्त रहेगी, सिर्फ पुरुष ही व्यभिचारी कहलायेगा |
शंका- तब तो येश्या अपना धंधा करते हुये भी अगर विवाहित पुरुषों से संबंध न रक्खे तो पंच अणुव्रत ले सकती है
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समाधान - जो वृत्ति समाज की किसी अनिवार्य और अहिंसक आवश्यकता का फल है उसे करते हुए अणुव्रतों में बाधा नहीं पड़ सकती । इसलिये उपर्युक्त विवेक रखने वाली वेश्या भी अगर चाहे तो पांच अणुव्रतों का पालन कर सकती है
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वेश्या का धंधा संकल्पी मैथुन न होने पर भी वह किसी समाज की शोभा नहीं है, बल्कि वह कलंक है - समाज की अव्यवस्था का सूचक है । इसलिये ऐसे साधनों को एकत्रित करना चाहिये जिससे इस प्रथा की जरूरत ही न रहे। इसके लिये निम्न