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गृहस्थ विशेष देशना विधि : १९१ स्वदारमंत्रभेद-अपनी स्त्री या मिनके गुप्त विचार बाहर अगट करना । यदि सत्य बात जो हुई है वही कही जाय तो असत्य न होनेसे व्रतमंग नहीं होता पर सहसात्कारसे ऐसी गुप्त चातके प्रगट हो जानेसे लज्जा आवे अथवा आत्महत्या करे तो उसका कारण बात करनेवाला है, अतः परमार्थसे वह असत्य हो जाती है, जिससे कुछ व्रतभंग होनेसे अतिचार कहा है, व्रतभंग नहीं । विना हुई गुप्त बात कहनेसे तो व्रतभंग होता है ।
स्तेनप्रयोगतदाहृतादानविरुद्वराज्यातिकमहीनाधिकमानोन्मानप्रतिरूपकव्यवहारा इति॥२५॥ (१५८)
मूलार्थ-अदत्तादान व्रतके पांच अतिचार ये हैं-१ स्तेनप्रयोग-चोरको मदद करना, २ चुराई हुई वस्तुका संग्रह, ३ शत्रु देश में प्रवेश, ४ न्यूनाधिक तोल नाप रखना तथा ५ मिलावट अथवा समान दिखानेवाली हलकी व कीमती वस्तुका आपसी बदलना ॥२५॥
विवेचन-१. स्तेनप्रयोग-स्तेन या चोरको मदद या सहायता करना, ' इस स्थानसे अथवा इस प्रकार चोरी करो' जो एक प्रकारकी अनुमति है।
२. तदाहतादान-चोर द्वारा चुराई हुई वस्तुओंका संग्रह जो लोभवश कम कीमतमें खरीदना अथवा लेके चुपकीसे रखना। . ३. विरुद्धराज्यातिक्रम-अपने राजा या राष्ट्रके प्रतिद्वन्द्वी राष्ट्रमें अपने राज्यकी सीमाका उल्लंघन करके प्रवेश करना ।