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गृहस्थ विशेष देशना विधि : २०५० होता है। उदाहरणार्थ-किसीने प्रत्येक दिशामें सो योजन जानेका परिमाण किया है, वह एक दिशामें नम्वे योजन तथा दूसरी दिशामें एकसो दस योजन जानेका परिमाण करता है। दोनों प्रकारसे कुल दोसौ योजनसे अधिक क्षेत्र न होनेसे प्रतकी सापेक्षतासे भंग नहीं होता पर एक दिशामें किये हुए सो योजनके परिमाणकी वृद्धि करनेसे भंग होता है अतः भंगाभंगसे यह अतिचार हुआ। ____कभी अधिक व्याकुलतासे, प्रमादसे या बुद्धि चातुर्यकी कमीसे अपने लिये हुए परिमाण- जैसे योजनका विस्मरण हो जावे तो उसे स्मृतिनाश अतिचार कहते हैं। ___ यहा पर वृद्ध संप्रदायका मत है कि ऊपर जानका जो प्रमाण किया हो उससे अधिक ऊपर पर्वत शिखा या वृक्ष पर वंदर या पक्षीद्वारा वल या आभूषण ले जाया जावे तो उसे वहां जाना नहीं चाहिये। यदि वह गिरे या कोई अन्य ले आवे तो ले सकता है। ऐसा अष्टापद, गिरनार पर्वत आदि पर हो सकता है। इसी प्रकार नीचे भी कुए आदि प्रमाणमें समझना ।
तिरछा जानेमें जो प्रमाण किया हुआ है उसका उल्लंघन तीन प्रकार होता है जो न करना चाहिये। क्षेत्रवृद्धि न करना चाहिये। वह किस प्रकार ? जो पूर्व दिशामें जानेवाला अपने लिये हुए प्रमाण तक जाकर माल खरीदता है वहां न विकनेसे या आगे जानेसे ज्यादा लाम व अच्छा माल मिलनेकी आशासे पश्चिम दिशाकी दूरीको पूर्वमें जोडकर उतना आगे जावे तो वैसे स्थलसे वस्तु न लेवे।