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गृहस्थ विशेष देशना विधि : २११ ही है। इसी तरह हिंसक पशुओका पोषण, भी-समझना ।। ' .
- इसी प्रकारके अन्य कई सावध कर्म हैं। यहां उनका दिग्दर्शन मात्र है तथा,उनका संक्षिप्त वर्णन है। सब यहां नहीं गिनाये जा सकते। - ये पुनरह अतिचार तथा पूर्वोक्त पांच मिलानेसे २० अतिचार हुए।
की विस्मृति आदि अतिचार सभी व्रतोंमें होते हैं। जो पांच 'अतिचार सब जगह बतायें हैं। उसी प्रकारके अन्य व्रतके परिणामको कलुषित करनेवाले हो ऐसे सबको अतिचार जानना। कोई भी व्रतमें जिससे बुराई आवे उसे अतिचार गिनना। यह बतानेको ही यहाँ। ५ कर्मादान अतिचार कहे हैं।
शंका-कोई कहे कि अंगार कर्म आदि किस व्रतके अतिचार हैं ? .... उत्तर-खर कर्म या क्रूर कर्मके व्रतके। ... तो अतिचार व व्रतमें परस्पर क्या मेद हैं ?
खर कर्मरूप अंगार कर्म आदि हैं जो यहाँ कहे गये हैं। खर कर्म आदिश्खर, कर्म व्रतवालेके लिये वर्जनीय हैं। जब अनामोग आदिसे इनमें प्रवृत्ति करे तब ये अतिचार होते हैं। यदि जान बूझकर करे तो व्रतमंग होता है।
अब अनर्थदंड नामक तीसरे गुणवत के अतिचार कहते हैंकन्दपकोकच्यमौखर्यासमीक्ष्याधिकरणोप५ भोगाधिकत्वानीति ॥३०॥ (१६३) । मूलार्थ-कामोद्दीपक, नेत्रकी
वाचालता,