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गृहस्थ विशेष देशना विधि : २१७ मनुष्य भेजना, शब्द सुनाना, रूप दिखाना, तथा कंकर आदि पुद्गल फेंकना-ये पांच अतिचार हैं ॥३२॥ . विवेचन-आनयन- जिस क्षेत्रका परिमाण किया है उससे बाहरसे सचेतन आदि द्रव्यको उस क्षेत्रके भीतर मंगवाना । स्वयं जानेसे व्रतभंग होता है, अतः किसी जानेवालेके साथ संदेश आदि मेनः कर अपना काम कराना ॥१॥
प्रेष्य- अपना नियत किया हुआ स्थान या क्षेत्रसे बाहर आज्ञा देकर किसीको मेजना- स्वयं जानेसे वतभंगका भय है, अतः किसी दूसरेको भेजना, यह दूसरा अतिचार है ॥२॥
आनयन और प्रेष्य दोनो प्रयोग कहलाते हैं। १. शब्द (अनुपात)- इसी प्रकार किसी व्यक्तिको बुलानेके लिये खांसी आदि शब्द कग्ना जिससे उसे अपनी स्थितिका जग्न हो ॥३॥
रूप ( अनुपात :- नियमित क्षेत्रकी बाहरके किसी व्यक्तिको बुलाने के लिये अपनी आकृति या शरीरको दिखाना, यह रूपानुपात चौथा अतिचार हुआ ॥१॥
- यहां भाव यह है कि नियमित क्षेत्रसे बाहरके किसी व्यक्तिको जनमंगके मयूसे बुलानेमें असमर्थ होनेसे उसे खांसी आदि शब्दसे या अपनी आकृति या शरीर आदि दिखानेसे उसके उपर आकर्षित करते हैं, अत: व्रतकी सापेक्षतासे रूपानुपात व शब्दानुपात अतिचार होता है । ' प्रगल प्रक्षेप-उस क्षेत्रके वाहरके मनुष्यको अपनी स्थिति