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भावक्रिया
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आ जाता है । जहां ऐसी स्थिति होती है, शब्द और अर्थ का बोध नहीं होता, भावक्रिया नहीं होती, वहां सफलता नहीं मिलती ।
असफलता का कारण
जीवन में सफल होने के लिए भावक्रिया जरूरी है और भावक्रिया के लिए शब्दबोध, अर्थबोध तथा चेतना का उपयोग ये तीनों बातें जरूरी हैं। ये तीनों बातें पूरी होती हैं तब व्यक्ति जीवन में सफल होता है। व्यापार के क्षेत्र में दुनियां के बड़े-बड़े उद्योगपति, जो सफल हुए हैं, उन्होंने बड़ी तन्मयता और एकाग्रता से कार्य किया है । उनकी एकाग्रता एक समाहित योगी जैसी एकाग्रता थी । केवल उसमें ही ध्यान रहा और सफलता की चोटी पर पहुंच गए । एकाग्रता और भावक्रिया के अभाव में सफलता उपलब्ध नहीं होती । अभी कुछ वर्ष पहले ओलम्पिक खेलों का आयोजन हुआ । आश्चर्य है - छोटे छोटे राष्ट्रों के लोग पांच-पांच, दस-दस स्वर्ण पदक जीत गए और भारत जैसा विशाल देश एक भी स्वर्ण पदक प्राप्त नहीं कर सका । कारण बहुत स्पष्ट है- हम भावक्रिया करना जानते ही नहीं हैं।
भावक्रिया केवल धर्म का ही सूत्र नहीं है । यह प्रत्येक क्षेत्र में सफल होने का सूत्र है । एक विद्यार्थी पढ़ता है । वह विद्या के क्षेत्र में सफल कैसे हो सकता है? कैसे दूर तक जा सकता है? कैसे विकास कर सकता है? यदि उसे विकास का सूत्र खोजना है तो सबसे पहले समाधि की खोज करनी होगी, भावक्रिया का जीवन जीना होगा ।
भावक्रिया : तीन आयाम
भावक्रिया के तीन आयाम हैं- सतत जागरूक रहना, वर्तमान में जीना और जानते हुए काम करना । जीवन का महत्त्वपूर्ण सूत्र है - जागरूक रहना । जीवन में थोड़ा-सा प्रमाद होता है तो समस्या उलझ जाती है । सफलता का बहुत बड़ा सूत्र है - जागरूकता ।
भावक्रिया का दूसरा आयाम है - वर्तमान में जीना । आदमी वर्तमान में
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