Book Title: Apna Darpan Apna Bimb
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 256
________________ २३६ अरहते सरणं पवज्जामि भारतीय राजनीति का यथार्थ है। अहम अपेक्षा हिन्दुस्तान में आज भी सचमुच सदाचार के प्रति एक आकांक्षा है। हिन्दुस्तान का आम नागरिक सदाचार को पसंद करता है, अष्टाचार को पसंद नहीं करता। किन्तु उसे सदाचार के आधार पर चलाने वाला कौन है? हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए-अणुव्रत जैसे नैतिक आंदोलन के द्वारा सदाचार की जो प्रक्रिया चलनी चाहिए, उसका जितना प्रशिक्षण चलना चाहिए, उसमें भी कुछ कमी रही है। यदि अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से प्रशिक्षण के द्वारा देश के पचास-सौ समर्थ व्यक्तित्वों को अणुव्रती बनाया जाता, जो न्यायाधीश, विचारक और राजनेता जैसे देश को प्रभावित करने वाले समर्थ व्यक्तित्व होते तो शायद चुनाव लड़ने वालों को भी सोचना पड़ता। यदि आज भी अणुव्रत आंदोलन न्याय और प्रशासन के क्षेत्र में नीति एवं चरित्रनिष्ठ व्यक्तियों को तैयार कर देश के सामने प्रस्तुत कर सके तो सदाचार की दिशा में प्रस्थान हो सकता है, चुनावी प्रक्रिया को नई दिशा देने की बात सफल हो सकती है। वर्तमान युग की यह अहम अपेक्षा है कि हम भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विचार करें और उसके साथ साथ जनता के मन में सदाचार की जो भावना है, उसे उद्दीपन दें, प्रोत्साहित करें, सदाचार से संपन्न व्यक्तियों के निर्माण के अभियान में जुट जाएं। यदि ऐसा होता है तो सदाचार की प्रतिष्ठा को संभव बनाया जा सकता है। सूत्र मोह के अल्पीकरण का सदाचार की उपलब्धि में बहुत बड़ी बाधा है मोह का प्रबल होना। जब तक व्यक्ति मोह की प्रबलता से मुक्त नहीं होगा तब तक वह सदाचार के प्रति समर्पित नहीं हो पाएगा। मोह के अल्पीकरण का सूत्र है अपनी आत्मा की शरण मे चले जाना। जो व्यक्ति आत्मा की शरण में चला जाता है, वह अर्हत् की शरण में चला जाता है, उसका मोह कभी प्रबल नहीं बन सकता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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