________________
9૬ર
अपना दर्पणः अपना बिम्ब करें। केवल आकाश को देखते रहें। यह प्रयोग आज्ञाचक्र को जगाने वाला भी है और उत्तेजना का उपशमन करने वाला भी है। सब्बसाहूणं
जैन आचार्यों ने स्वास्थ्य के लिए एक मंत्र का चुनाव किया -सव्वसाहूणं। इसे बीमारी मिटाने वाला मंत्र माना गया । इसका ध्यान किया जाता है स्वास्थ्य केन्द्र पर । रंग और मनोभाव
पांच पद, पांच चैतन्य केन्द्र और पांच ही रंग। लेश्या का एक अर्थ है रंगों का ध्यान । रंगों के ध्यान का बहुत प्रभाव होता है किन्तु उसके साथ भाव परिवर्तन पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। सोवियत वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग भी किया है कि मनोभावों को बदलकर बीमारी को कैसे मिटाया जा सकता है ? परिवर्तन का सूत्र है-भावधारा को बदलो, लेश्या को बदलो, वृत्तियां परिष्कृत हो जाएंगी। रंगों के ध्यान के साथ मनोभावों पर ध्यान देना भी आवश्यक है। ये पांच पद हमारे मनोभाव हैं। इन मनोभावों के साथ रंगों और चैतन्य केन्द्रों को जोड़ें तो एक शक्तिशाली यूनिट बन जाता है और उसके द्वारा बहुत लाभ उठाया जा सकता है। मंत्र, रंग और चैतन्य केन्द्र-इनकी सम्यग् युति में स्वस्थ एवं सफल जीवन का रहस्य छिपा है। प्रयोगधर्मा बनकर ही उस रहस्य को हस्तगत किया जा सकता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org