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अपना दर्पणः अपना बिम्ब करने मात्र से अभय घटित हो जाएगा। यह अधूरी बात है। पूरी बात तब होगी जब हम एक ओर अभय की भावना को पुष्ट बनाएंगे, दूसरी ओर अमूर्छा का भाव प्रबल होगा। हम मूर्छा को घटाने की साधना करें, हमारे जीवन में अभय के अवतरण की भूमिका बन जाएगी।
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