Book Title: Apna Darpan Apna Bimb
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 245
________________ २२८ अपना दर्पणः अपना बिम्ब बाहर आता है तब उसका रंग बदल जाता है। हमारे आस-पास रंगों का एक वातावरण है। सैकड़ों प्रकार के परमाणुओं का मंडल हमारे इर्द-गिर्द परिक्रमा कर रहा है । उनमें एक है रंगों का वलय। उसमें नीला, काला, सफेद, लाल-ये सभी रंग हैं। रंगों का अनुभव करना श्वास प्रेक्षा का एक नियम है और उसकी प्रेक्षा से जुड़ा हुआ एक उपक्रम है। इस वलय की बात से आगे बढ़ें। हम जो प्राणवायु लेते हैं, उस श्वास में भी सभी प्रकार के रंग, सभी प्रकार की गंध, रस और स्पर्श हैं। जो व्यक्ति श्वास प्रेक्षा का ध्यान करे, वह पहले इस बात पर ध्यान दे मैं इस क्षण जो श्वास ले रहा हूं, उसमें कौनसा रंग प्रकट हो रहा है? कौन सा रंग दबा हुआ है? जो रंग व्यक्त है, उसकी प्रेक्षा शुरू करे। जो अव्यक्त है, उसकी भी प्रेक्षा करे। सत्य की खोज की दिशा में एक कदम आगे बढ़ जाएगा। ध्यान भी गहरा होता चला जाएगा। रंग को देखने का संकल्प ___जब श्वास प्रेक्षा का प्रयोग किया जाता है और श्वास के रंग को पकड़ने की कोशिश की जाती है तब ध्यान की गहराई में जाना होता है, एकाग्रता को सघन बनाना होता है। दीर्घश्वास प्रेक्षा करने वाला व्यक्ति इस संकल्प को लेकर ध्यान में बैठ जाए-आज मुझे इस रंग को देखने के लिए श्वास प्रेक्षा का प्रयोग करना है । सघन ध्यान का प्रयोग, केवल कल्पना नहीं । वह यह देखे-मैं जो श्वास ले रहा हूं, उसके साथ कौन सा रंग जा रहा है और कौन सा रंग अव्यक्त बना हुआ है। जो रंग व्यक्त होकर जा रहा है, उसे मुझे देखना है। प्रातः काल ध्यान में जो रंग होता है, वह मध्यान्ह के ध्यान में बदल जाएगा। प्रत्येक डेढ़ घंटे बाद रंग बदलता रहता है। श्वास प्रेक्षा के साथ जुड़ा पहला प्रयोग है रंग का ज्ञान। संदर्भ गंध का दूसरा है गंध का ज्ञान । गंध आदमी को बहुत प्रभावित करती है। आज विज्ञान के क्षेत्र मे इस विषय पर बहुत अनुसंधान और अन्वेषण चल रहे हैं। गंध और भावनाओं का गहरा संबंध है। बुरी गंध, बुरी भावना। अच्छी गंध, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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