Book Title: Apna Darpan Apna Bimb
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 252
________________ २३५ आहेसु विज्जा चरणं पमोक्खं सिद्धान्त और प्रयोग हम साधना की इन तीन भूमिकाओं को जानते हैं, यह है विद्या का क्षेत्र । हम इनका प्रयोग करते हैं, यह है आचरण का क्षेत्र । विद्या और आचरण, यह है शास्त्रीय भाषा। आज की भाषा है-सिद्धान्त और प्रयोग । यदि हम केवल ध्यान का प्रयोग करें और ध्यान के सिद्धान्त को न समझें तो वह अंधेरी कोटड़ी में ढेला फैंकने जैसा है। ध्यान का प्रयोग करने वाले व्यक्ति के लिए शरीर और मन के नियमों को समझना जरूरी है। एक है प्राण का तंत्र। इसे डाक्टर भी पकड़ नहीं पाते। जो हमारी प्राणशक्ति है, प्राण का पथ या प्राण-प्रवाह है, उसे समझना बहुत जरूरी है इसीलिए प्रेक्षाध्यान के साथ सिद्धान्त का एक पूरा पक्ष जुड़ा हुआ है। उसका दूसरा पक्ष है-आचरण या प्रयोग का पक्ष। ये दोनों ही पक्ष जीवन में घटित होते हैं तब साधना का मार्ग प्रशस्त और स्पष्ट बन जाता है। इन दोनों के योग का अर्थ है-समस्या से मुक्ति। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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