Book Title: Apna Darpan Apna Bimb
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 244
________________ अप्पणा सच्चमेसेज्जा प्रेक्षा ध्यान का एक प्रयोग है श्वास प्रेक्षा । बहुत छोटी-सी बात होती है श्वास को देखना । किन्तु 'अप्पणा सच्चमेसेज्जा', इस सूत्र के आधार पर श्वास का निरीक्षण या श्वास की प्रेक्षा शुरू करें तो उसके सैकड़ों पर्याय हमारे सामने आ जाएंगे । जो व्यक्ति यह चाहे कि मुझे ध्यान की बहुत गहराई में जाना है, वह केवल श्वास प्रेक्षा का प्रयोग अपना ले। इस एक प्रयोग से वह ठेठ समाधि की अवस्था तक पहुंच सकता है। श्वास से जुड़े नियम सत्य का अर्थ है - परिवर्तनों एवं उसके नियमों को जानना, पर्यायों को जानते रहना । एक श्वास के कितने पर्याय हैं? हम आधा घंटा श्वास प्रेक्षा का प्रयोग करते हैं । इतनी सी देर में श्वास के सैकड़ों पर्याय बदल जाते हैं, उन सब पर्यायों को सूक्ष्म दृष्टि से देखना, उनकी प्रेक्षा करना, यह है स्वयं सत्य की खोज । सारी बातें बताई नहीं जा सकती, केवल उनका अनुभव किया जा सकता है। हम कुछेक बातें ही बता सकते हैं-जब हम श्वास लेंगे तो श्वास गर्म होगा। जब वह भीतर जाएगा तब उतना ही गर्म रहेगा, जितना फेफड़े के लिए आवश्यक है। अधिक गर्म होगा तो नाक उसे रोक देगा और अधिक ठण्डा होगा तो भी नाक उसे रोक देगा । हमारे नथुने के भीतर जो संवेदी तंत्रिकाएं हैं, वे श्वास को मृदु बना देती हैं। इसीलिए कहा जाता है - श्वास मुंह से न लिया जाए। क्योंकि मुंह के पास श्वास को संतुलित करने के लिए कोई साधन नहीं होता । संदर्भ रंग का जब श्वास भीतर जाता है तब उसका रंग दूसरा होता है और जब वह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258