Book Title: Apna Darpan Apna Bimb
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 225
________________ २०८ अपना दर्पण : अपना बिम्ब अन्यत्व अनुप्रेक्षा : शरीर के रहस्यों की खोज जिस व्यक्ति को अन्यत्व अनुप्रेक्षा करना है, उसे सबसे पहले शरीर को समझना होगा, आत्मा के सारे गुण-धर्मों को समझना होगा, उसके साथ शरीर के रहस्यों को भी समझना होगा। उसके बाद यह जानना होगा-आत्मा और शरीर का संबंध सूत्र क्या है और कहां है? शरीर और आत्मा के प्रभाव को समझना होगा। दोनों का एक दूसरे पर कितना प्रभाव है? प्रभावित करने वाले बिन" कौन-कौन से हैं? हमारे शरीर में कुछ विशिष्ट बिन्दु और रसायन हैं, जो हमें प्रभावित करते हैं। ऐसे कुछ विशिष्ट भाव हैं, जो हमें प्रभावित करते हैं। हमें इन सबको समझना होगा। चक्रव्यूह को कैसे तोड़ें एक ऐसा चक्र चलता है- एक भाव आया और एक अलग प्रकार का रसायन बन गया और फिर एक अलग प्रकार के भाव का निर्माण हो गया। उस चक्र को कैसे पकड़ें और कहां से तोड़ें? इसके लिए जरूरी है एक लंबी और अनवरत चलने वाली साधना । ये सब तथ्य सहज ही पकड़ में नहीं आ पाएंगे। किन्तु इतना अवश्य है-जो व्यक्ति अन्यत्व अनुप्रेक्षा की साधना में प्रवेश करेगा और तीन महीने तक उसका अच्छा अभ्यास कर लेगा, उसे अपनी शारीरिक स्थितियों से निपटने की कला आ जाएगी, कष्ट पर से चेतना को हटाने का अभ्यास हो जाएगा। इसी प्रकार मानसिक स्थितियों से निपटने के लिए भी अन्यत्व अनुप्रेक्षा का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे ही किसी मानसिक भाव की तरंग उठे, तत्काल अन्यत्व अनुप्रेक्षा का प्रयोग करें। चेतना वहां से हटकर दूसरे स्थान पर चली जाएगी, वह मनोभाव शांत हो जाएगा। ऐसा होना संभव है लेकिन इसके लिए गहरी साधना चाहिए। धर्म का प्रायोगिक सूत्र ___ हम धर्म को व्यावहारिक और प्रायोगिक बनाएं । धर्म कोरा कर्मकाण्ड ही नहीं है, वह जीवन का दर्शन है। जो धर्म हमारे वर्तमान जीवन की समस्याओं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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