________________
अन्यत्व अनुप्रेक्षा
२०६ का समाधान नहीं देता, वह बहुत काम का नहीं होता। वह धर्म हमारे लिए उपयोगी है, जो वर्तमान समस्याओं के समाधान का मार्ग सुझा सके। हम प्रायोगिक धर्म के द्वारा समस्याओं का समाधान करें। इस संदर्भ में अनुप्रेक्षाओं का बड़ा महत्त्व है। ध्यान की बहुत सारी पद्धतियां चलती हैं किंतु ऐसी पद्धतियां बहुत कम हैं, जिनमें प्रेक्षा के साथ अनुप्रेक्षा का प्रयोग चलता हो। जैन आचार्यों ने अनुप्रेक्षाओं का बहुत विकास किया। इनका उपयोग किया जाए तो आध्यात्मिक विकास में सहारा मिलेगा, व्यक्तित्व के रूपांतरण में भी बहुत योग मिलेगा। इसके साथ साथ शारीरिक, मानसिक और पारिवारिक समस्याओं के समाधान में भी बहुत बड़ा योगदान मिलेगा। हम अनुप्रेक्षाओं का चिन्तन-मनन करें, उनके हृदय-बिन्दुओं को पकड़ने का प्रयत्न करें तो धर्म हमें थोपा हुआ या आरोपित नहीं लगेगा। हमें इस सचाई का अनुभव होगा-धर्म हमारा कल्याणकारी सहयोगी है, साथी है और ऐसा साथी है, जो अंतिम समय तक निरंतर हमारे साथ रहेगा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org