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लेश्याध्यान (१)
१६१ और पौरुष का रंग माना गया है बाल सूर्य के रंग जैसा हलका लाल रंग। जिन लोगों में सुस्ती ज्यादा है, आलस्य और मंदता है, जिनकी अंतर्दृष्टि जागृत नहीं है, जिनमें मोह प्रबल है, उनके लिए णमो सिद्धाणं' का हलके लाल रंग के साथ ध्यान करना बहुत उपयोगी होता है। णमो आयरियाणं
नमस्कार महामंत्र का तीसरा पद है-णमो आयरियाणं। विशुद्धि केन्द्र पर पीले रंग के साथ इस पद का ध्यान किया जाता है। जिनका पाचन तंत्र कमजोर है, जो मानसिक दृष्टि से दुर्बल हैं उनके लिए ध्यान का यह प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। जब भी डिप्रेशन होता है, लोग दवाइयों की शरण ले लेते हैं। यदि उस स्थिति में ‘णमो आयरियाणं' का पीले रंग के साथ कंठ पर ध्यान किया जाए तो डिप्रेशन की समस्या समाहित हो जाए। णमो उक्झायाणं
नमस्कार महामंत्र का चौथा पद है-णमो उवज्झायाणं । इसका हरे रंग के साथ आनंद केन्द्र पर ध्यान किया जाता है। इस हृदेश को बहुत लोगों ने आत्मा का स्थान माना है। हरे रंग का कार्य है-विजातीय तत्वों को बाहर निकालना। यह भावात्मक स्वास्थ्य का मुख्य रंग है। णमो लोए सबसाहूणं
नमस्कार महामंत्र का पांचवा पद है-णमो लोए सव्वसाहूणं। इस पद का नीले रंग के साथ स्वास्थ्य केन्द्र और शक्ति केन्द्र (पेडू के नीचे का पूरा भाग) पर ध्यान किया जाता है। नीला रंग शांति देने वाला है। जब उष्णता पैदा होती है तब नीले रंग का ध्यान बहुत उपयोगी रहता है। आकाश-दर्शन का प्रयोग
प्रेक्षा ध्यान में आकाश-दर्शन का भी एक प्रयोग कराया जाता है। रात का समय। खुली आंख से केवल नीले आकाश को देखें। न सोचें, न कल्पना
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