Book Title: Apna Darpan Apna Bimb
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 215
________________ अपना दर्पणः अपना बिम्ब दृष्टिकोण से चले। यदि कुछ रचनात्मक कार्य सामने आए तो चुनावों को जीतने के लिए इतना प्रयत्न ही न करना पड़े। समस्या यह है - रचनात्मक कार्य तो बहुत कम होते हैं किन्तु दूसरे दलों को नीचा दिखाकर चुनाव को जीतने के हथकंडे ज्यादा अपनाए जाते हैं। १६८ जो लोग समूचे राष्ट्र की बागडोर अपने हाथ में थामने वाले हैं, उनके आचरण और व्यवहार को देखते हैं तो उन्हें यह बागडोर सौंपते हुए प्रत्येक भारतीय के मानस में एक संदेह और खतरा बना रहता है। हम बाजारों में देखें, गली नुक्कड़ों में देखें, सभाओं में देखें। सब स्थानों पर निषेधात्मक दृष्टिकोण ही नजर आता है। एक दूसरे को गिराने की चेष्टाएं चलती रहती हैं । इन स्थितियों में यह प्रश्न उभरता है- क्या इस चेतना के आधार पर राष्ट्र को चलाया जा सकता है? राष्ट्र को उन्नत बनाया जा सकता है? स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रखा जा सकता है? इन प्रश्नों का समाधान वर्तमान भारतीय राजनीति के चरित्र से नहीं पाया जा सकता । मूल्य है आचरण का लेश्या का संबंध अच्छे रंगों और भावों के साथ है। उसका संबंध अच्छे आचरण के साथ भी है। जब तक आचरण अच्छा नहीं है, भाव अच्छा नहीं हो सकता । मूल्य है आचरण का । समाज में सदाचार व्यापक नहीं बनेगा तो अच्छी चेतना का विकास कभी संभव नहीं होगा। आचरण अच्छा होगा तो भाव और रंग अपने आप अच्छे हो जाएंगे। व्यक्ति का अपना संकल्प और व्रत होता है। जीवन में व्रत होता है तो अच्छा विचार भी आता है, अच्छा भाव और रचनात्मक दृष्टिकोण भी विकसित होता है । व्रत की चेतना जागे भगवान् महावीर ने जो धर्म बतलाया, वह व्रत और आचरण का धर्म है। एक मुनि के लिए पांच महाव्रत बतलाए । एक गृहस्थ श्रावक के लिए बारह व्रत बतलाए । इन सबका सार है अच्छा आचरण । यदि जीवन में व्रत, संयम और साधना नहीं है तो कोई भी बात अच्छी नहीं हो सकती । व्यक्तिगत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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