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लेश्याध्यान (३)
स्वतंत्रता का मूल्य ____ जब से मनुष्य ने सोचना-समझना शुरू किया तब से ही उसे आजादी प्रिय लगने लगी। उसने सबसे ज्यादा मूल्य दिया है स्वतंत्रता को। मनुष्य ने इस स्वर में स्वतंत्रता की कामना की-आधा जून रोटी मिले, भूखा भी रहना पड़े पर गुलामी को सहन नहीं किया जाएगा। रोटी सब कुछ नहीं है, स्वतंत्रता उससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। यह धारणा हजारों हजारों वर्षों से चली आ रही है। स्वतंत्रता कैसे मिले और वह सुरक्षित कैसे रहे? यह प्रश्न मनुष्य के सामने सदा रहा है। आगम की भाषा
___ आगम की भाषा में कहा जा सकता है-जब देश में कृष्ण लेश्या का परिणाम बढ़ता है तब देश का पतन होता है, स्वतंत्रता छीन ली जाती है। जब तेजो लेश्या का परिणाम बढ़ता है तब देश उन्नत होता है, स्वतंत्रता सुरक्षित रहती है। कृष्ण लेश्या का एक लक्षण है-पांच आश्रव में प्रवृत्ति । प्रश्न है-हमारी स्वतंत्रता को खतरा किससे है? हिंसा, आतंकवाद, अपराध, बलात्कार, चोरी, डकैती, झूठ, छल-कपट की वृद्धि-ये सब कृष्ण लेश्या के परिणाम हैं। इन्हीं प्रवृत्तियों से स्वतंत्रता को सबसे बड़ा खतरा है। वर्तमान राजनीति का चरित्र
जब-जब मैं राजनीतिक नेताओं के वक्तव्यों और टिप्पणियों को पढ़ता हूं तब-तब मेरे मन में एक प्रश्न उभरता है-क्या राजनीति को निषेधात्मक भावों के आधार पर ही चलाया जा सकता है? क्या दूसरों को गलत बताकर ही चुनाव जीता जा सकता है। कितना अच्छा हो यदि राजनीति विधायक
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