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अपना दर्पणः अपना बिम्ब लें-व्रती बनना है, व्रत की दिशा में गति करना है, आचरण को अच्छा और पवित्र बनाना है। इस संकल्प से प्रभावित आचरण से हमारी लेश्या विशुद्ध
और पवित्र बनेगी। जिस दिन हमारा आचरण श्रेष्ठ होगा, तेजो लेश्या, पद्म लेश्या और शुक्ल लेश्या के परिणाम प्रवर्द्धमान होंगे, उस दिन वास्तविक स्वतंत्रता का मूल्य जनता में प्रस्थापित होगा।
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