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मितभाषण बढेगी, जीवन को समझने का मौका मिलेगा । जीवन को समझने का अर्थ है-अपने आपको समझना और अपने आपको समझने का अर्थ है-जीवन को समझना । जिसने जीवन को समझ लिया, अपने आपको समझ लिया, वह प्रेक्षाध्यान के उद्देश्य के निकट पहुंच गया । इस दिशा में हमारा पुरुषार्थ
और पराक्रम नियोजित हो तो निश्चित ही हम जीवन की सार्थक दिशा का उद्घाटन करने में सफल बन जाएंगे ।
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