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कायोत्सर्ग का उद्देश्य
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जन
तब तक आदमी स्वस्थ और शान्तिमय जीवन जीता रहेगा । शरीर के स्वास्थ्य से जुड़े हुए दो महत्त्वपूर्ण तंत्र हैं-पाचन तंत्र और उत्सर्जन तंत्र । पाचन-तंत्र का कार्य है भोजन को पचाना और उत्सर्जन तंत्र का कार्य है मल को बाहर निकालना। प्रतिदिन मल जमा होता रहता है । यदि उत्सर्जन तंत्र सही ढंग से काम न करे तो व्यक्ति का स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है । कहना यह चाहिए- 'ने पर ध्यान देना चाहिए पच्चीस प्रतिशत और मल-विसर्जन पर ध्यान देना च. 7 पचहत्तर प्रतिशत । यदि व्यक्ति इस बात का ध्यान रखेगा तो शांति से जीवन `सकेगा, इन्द्रिय, मन और चेतना बिलकुल प्रसन्न रहेंगी। शरीर और भोजन
दूषित मल के निष्कासन का एक तरीका है लंघन-उपवास । तपस्या करना आध्यात्मिक साधना है किन्तु साथ साथ स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अनिवार्य है । दूसरा है आसन का प्रयोग । आसन से सारे शरीर में हलचल होती है, पसीना निकलता है । उसके साथ बहुत सारे मलों का निष्कासन हो जाता है । ऐसे परीक्षण किए गए हैं, जिनमें मृत शरीर में से साठ-सत्तर किलोग्राम मल निकाला गया है । हम इस बात पर ध्यान केन्द्रित करें-मलों का निष्कासन ठीक प्रकार से हो रहा है या नहीं? हम इस सचाई का मूल्यांकन करें-शरीर के लिए भोजन है, भोजन के लिए शरीर नहीं है (Food for body/Body is not for food). हम इसकी उल्टी दिशा में चल रहे हैं । हमें यह भ्रम तोड़ना होगा । कायोत्सर्ग का पहला कार्य है-शरीर की जड़ता की शुद्धि । जब कायोत्सर्ग करेंगे, रक्त-संचार का पूरा मार्ग साफ हो जाएगा, कहीं अवरोध नहीं रहेगा। सुख-दुःख में समभाव
हम वर्तमान समाज की जीवन शैली को देखें । आज समाज आर्थिक साधन-सुविधा की दृष्टि से बहुत आगे बढा है किन्तु चारित्रिक, सामाजिक
और नैतिक स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी नीचे गिरा है । बहुत लोग उद्योगपति बन गए, बहुत विकास कर लिया किन्तु मुझे ऐसा लगता है, समाज का स्तर
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