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अपना दर्पणः अपना बिम्ब
१४२ पशु में भी है भावना का स्तर
यह भावना का स्तर प्रत्येक प्राणी में होता है । क्या एक कुत्ते में मन की शक्ति है? उसमें कल्पना और योजना बनाने की शक्ति है किन्तु वह भावना के स्तर पर होती है । जब बादल आते हैं तब टिट्टिभ (टिटोड़ी) बहुत तेज बोलती है। वह अंडा देती है, खुले में घोंसला नहीं बनाती । वह इतनी सुरक्षा करती है कि आदमी सोच ही नहीं सकता। वह सुरक्षा किस आधार पर करती है? यह सारा प्रयत्न भावना से प्रेरित होता है । भावना का स्तर पशु में भी बहुत प्रबल होता है।
शिकारी जंगल में शिकार की टोह में घूम रहा था। उसे एक हरिणी दिखाई दी । उसने हरिणी की ओर निशाना साधा। हरिणी ने भावुक स्वर में कहा
आदाय मांसमखिलं स्तनवर्जितांगाद्, मां मुञ्च वागुरिक ! यामि कुरु प्रसादम् । अद्यापि शस्यकवलग्रहणादभिज्ञाः, मन्मार्गवीक्षणपराः शिशवो मदीयाः ।।
ऐ शिकारी ! तुम मेरा पूरा मांस ले लो, केवल दो स्तनों को छोड़ दो। मैं एक बार अपने बच्चों के पास जाना चाहती हूं क्योंकि मेरे बच्चे बहुत छोटे हैं । वे अभी तक घास चरना भी नहीं जानते हैं। वे मेरी बाट जो रहे हैं-कब मां आती है? कब स्तनपान कराती है? इसलिए हे शिकारी ! तुम कृपा करो और कुछ देर के लिए मुझे छोड़ दो।
यह बात चिन्तन के स्तर पर नहीं, केवल भावना के स्तर पर ही पैदा हो सकती है। विकास हो नई शाखा का
हम इस सचाई को समझें-हमारा आचरण और व्यवहार मन से जुड़ा हुआ नहीं है । बार बार यह कहा जाता है - मन ही ऐसा है? मन पकड़ में
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