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अपना दर्पणः अपना बिम्ब विशेष के लिए नहीं हैं। जहां लोकगीत या लोक कहानियों का प्रश्न है, हिन्दु हो या मुसलमान, वे सबके लिए समान हैं । ___महाभारत भी लौकिक काव्य है। इसमें सब धर्मों और दर्शनों का समाहार है । इसमें जैन दर्शन भी मिल जाएगा, बौद्ध और वैदिक दर्शन भी मिल जाएंगे। उस समय का जितना भारतीय दर्शन और चिन्तन है, उन सबका समाहार महाभारत में उपलब्ध है । जो भी अच्छा लगा, उसे इसमें सम्मिलित कर लिया गया, इसीलिए इसमें बहुत सारी विरोधी बातें मिलती हैं । इसमें जहां एक ओर प्रवृत्ति धर्म पर बल दिया है वहीं दूसरी ओर निवृत्ति धर्म पर भी बहुत बल दिया है। इन दोनों में कोई तालमेल नहीं है। एक सामान्य व्यक्ति पढेगा तो उसे लगेगा-कितनी विरोधी बातें लिखी गई हैं । वस्तुतः विरोधी बातें लिखी नहीं गई हैं, संकलित की गई हैं। इसमें अनेक विचारों का समाहार
है।
कितना पुराना है महाभारत
प्रश्न यह है-क्या महाभारत बहुत पुराना है? महाभारत बहुत पुराना है, यह मानना बड़ा कठिन है। हो सकता है, यह हजार वर्ष पुराना हो, डेढ हजार या दो हजार वर्ष पुराना हो किन्तु यह महावीर से पहले का है, यह कहना बहुत मुश्किल है। महावीर से पहले का महाभारत इतना बड़ा बना ही नहीं था। उस समय इसका रूप बहुत छोटा था। प्रारंभ में सम्भवतः इसके सात हजार श्लोक रहे होंगे। फिर इक्कीस हजार बने और आज इसका श्लोक परिमाण एक लाख से भी अधिक है। यह सारा उत्तरकालीन विकास है। विमर्शनीय बातें
दूसरा है बौद्ध साहित्य । अंगुत्तर निकाय में छह अभिजातियों की चर्चा है। डा. ल्यूमैन और डा. हरमन जेकोबी ने अपने अनुसंधान के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला-महावीर ने लेश्या का सिद्धान्त आजीवकों से लिया। कुछ विदेशी विद्वान् अनुमान करने में तेज रहे हैं और उन्होंने कुछ विचित्र अनुमान
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