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लेश्या : पौद्गलिक है या चैतसिक
चुनाव करें रंग का ___क्या हम अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं? सफल जीवन जीना चाहते हैं? यदि हम ऐसा चाहते हैं तो हमें ध्यान देना होगा अपने कपड़ों पर। हमने किस रंग के कपड़े पहन रखे हैं? प्रायः जैन साधु-साध्वियां सफेद कपड़े पहनते हैं। लाल, पीला, काला या नीला वस्त्र नहीं पहनते । प्रश्न हो सकता है-सफेद रंग ही क्यों चुना गया? विराग में जाना है तो अन्य आकर्षक दिखने वाले रंगों को छोड़ देना होता है। सफेद रंग शुक्ल लेश्या और परम शुक्ल लेश्या का रंग है। वैराग्य की दृष्टि से यह सर्वोत्तम रंग है। उदंडता का कारण
रंगों का प्रभाव बहुत व्यापक होता है। रंग व्यक्ति की मनःस्थिति को प्रभावित ही नहीं करते, परिवर्तित भी कर देते हैं। सोवियत रूस में एक स्कूल के विद्यार्थी बहुत उदंड और उच्छृखल थे। स्कूल के अधिकारियों और अध्यापकों के सामने एक बहुत बड़ी समस्या पैदा हो गई । उन्होंने सोचा-उदंडता का कारण क्या है? दो-चार बच्चे उदंड हो जाए, यह बात समझ में आ सकती है। प्रायः सभी विद्यार्थी उइंड कैसे हो सकते हैं? इसका कारण क्या है? जो विद्यार्थी बहुत शान्त और संयत लग रहे थे, वे भी उदंड और असंयत बनते जा रहे हैं। बहुत खोज की गई पर कोई कारण समझ में नहीं आया। आखिर रंग-वैज्ञानिकों को बुलाया गया। उन्होंने इस समस्या का कारण बतलाया-आपकी स्कूल का रंग भी लाल है, खिड़कियां और दरवाजे भी लाल रंग से पुते हुए हैं। खिड़कियों में जो कांच के शीशे हैं, वे भी लाल हैं। पर्दे भी लाल हैं और फर्श पर जो कालीन बिछे हुए हैं, वे भी लाल हैं । बच्चों की स्कूल ड्रेस भी
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