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अपना दर्पणः अपना बिम्ब
रंग हैं । कृष्ण का वर्ण है श्याम । श्याम का अर्थ काला नहीं है। बहुत बार श्याम का अर्थ काला कर दिया जाता है पर वस्तुतः उसका अर्थ नीला है। महेश का नीला, ब्रह्म का लाल और शिव का रंग सफेद है। वैदिक संध्या का तात्पर्य है-जो इन तीनों वर्गों का संध्या के समय ध्यान करता है, वह शरीर
और मन-दोनों दृष्टियों से स्वस्थ रहता है। संदर्भ नमस्कार महामंत्र का
जैनों का महामंत्र है-नमस्कार महामंत्र । नमस्कार महामंत्र का ध्यान पांच वर्षों के साथ किया जाता है। यदि व्यक्ति प्रतिदिन आधा घंटा तक निर्धारित रंगों के साथ नमस्कार महामंत्र का ध्यान करे तो तीन मास बाद उसे लगेगा-मैं हर दृष्टि से ठीक हो रहा हूं। मेरे स्वास्थ्य, प्रसन्नता और शान्ति में वृद्धि हो रही है। हम नमस्कार महामंत्र की माला जपने को रूढि न बनाएं । इसको वैज्ञानिक रूप दें, एक नया प्रायोगिक रूप दें। आज माला को एक रुढि का सा रूप मिल रहा है। व्यक्ति माला जपने बैठता है और जल्दी से जल्दी उसे पूरा कर लेना चाहता है। बहुत लोग कहते हैं, माला जपने में कितना समय लगता है। थोड़े समय में ही एक माला का जप हो जाता है। अनेक लोग गर्व की भाषा में इस प्रकार भी कहते हैं-मैं पांच मिनट में पूरी माला जप लेता हूं। पांच मिनट में एक सौ आठ बार नमस्कार महामंत्र का जप! क्या यह जप का सही तरीका है? लगता है, हमारी गति कंप्यूटर से भी तेज हो गई है। वस्तुतः इतनी जल्दबाजी में माला जपना जप की सम्यक् विधि नहीं हो सकती । अनेक लोग शिकायत करते हैं-महाराज ! रोज माला जपते हैं पर उसका कोई लाभ नहीं मिलता। जब जप की विधि ही सही नहीं है तो लाभ कैसे मिलेगा? निष्ठा और सम्यक् विधि से किया गया जप ही सार्थक परिणाम देने वाला होता है। मूल्य है निष्पत्ति का
हम नमस्कार महामंत्र के जप के साथ रंगों का प्रयोग करें। इससे रंग और लेश्या का संतुलन सधेगा, शारीरिक, मानसिक और भावात्मक संतुलन
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