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अपना दर्पणः अपना बिम्ब लेश्या दोनों जुडे हुए हैं। भावविशुद्ध होंगे तो लेश्या शुभ होगी। लेश्या शुभ होगी तो वर्ण, गंध, रस और स्पर्श भी मनोरम होंगे। इस स्थूल जगत् में गुलाब या केवड़ा की जो सुगन्ध होती है, उससे भी अनंतगुना अधिक सौरभ होती है लेश्या की गंध में। पका हुआ आम जितना मीठा होता है, शुभ लेश्या का उससे भी अनंतगुना अधिक मीठा रस होता है। सद्यः निःसृत नवनीत का जितना कोमल स्पर्श होता है, शुभ लेश्या का उससे भी अनंतगुना अधिक मृदु स्पर्श होता है। शिरीष का स्पर्श कितना कोमल और सुहाना होता है, शुभ लेश्या का स्पर्श उससे अनंतगुना ज्यादा कोमल है। लेश्या : वर्ण, गंध, रस और स्पर्श ___ उत्तराध्ययन सूत्र में लेश्याओं के वर्ण, गंध, रस और स्पर्श का व्यवस्थित निरूपण हैलेश्या वर्ण गंध रस कृष्ण खंजन के मृत कलेवर तुबे से करवत से अनंतसमान की गंध अनंतगुना गुना तीक्ष्ण
से अनंतगुना कड़वा
अधिक नील चाष पक्षी "
त्रिकट से ॥ के परों के
अनंतगुना समान
तीखा
स्पर्श
"
"
कापोत कबूतर की
ग्रीवा के समान
कच्चे आम से अनंतगुना कसैला
तैजस नवोदित सूर्य सुगन्धित पुष्प के समान से अनंतगुना
अधिक
पके हुए। आम से। अनंतगुना खट्टा-मीठा
नवनीत एवं शिरीष से अनंतगुना मृदु
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