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अपना दर्पणः अपना बिम्ब अध्यात्म की उपयोगिता
यही कान, यही आंख सबके पास है। यदि आंख सचाई को देखने लग जाए, कान परमार्थ की बात को सुनने लग जाए तो कुछ नई बातें हमें प्राप्त हो सकती हैं। इसके लिए हमें गहराई में जाना होगा। जहां कुछ देने की बात है, नई बात प्रस्तुत करने का प्रश्न है वहां बहुत गहरे में डुबकियां लेनी होंगी। सतह पर रहने से काम नहीं चलेगा। यदि हम गहरे उतर कर कुछ नई बात खोजें, अध्यात्म चिकित्सा या भाव चिकित्सा के क्षेत्र में लेश्या के सिद्धान्त के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रयोग प्रस्तुत करें तो दुनियां को एक ऐसा सूत्र मिलेगा, जिससे अध्यात्म की उपयोगिता बढ़ेगी, यह विश्वास प्रबल होगा-कोरी भौतिकता का नहीं, अध्यात्म का भी एक साम्राज्य है और उसके बिना मनुष्य सुख और शांति का जीवन जी नहीं सकता ।
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