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अपना दर्पणः अपना बिम्ब
___तुम ठीक कहते हो। लड़के सम्पन्न हैं पर मेरी मुसीबत उनके कारण ही है।
ऐसा क्या हुआ, जो मुसीबत आ गई?
मुसीबत बहुत बड़ी है। मैंने लड़कों को पढ़ाया। एक डाक्टर बन गया और एक वकील । उनका यह व्यवसाय ही मुसीबत का कारण है।
उनके व्यवसाय से आपकी मुसीबत का लेना देना क्या है?
हुआ यह कि एक एक्सीडेंट में मेरे पैर में चोट लग गई, पैर में घाव हो गया। जो डाक्टर है, वह कह रहा है-पिताजी! घाव को जल्दी ठीक कर लें अन्यथा इसमें रस्सी पड़ जाएगी। हो सकता है फिर पैर काटने के सिवाय कोई विकल्प न रहे।
यह तो अच्छी बात है । इसमें मुसीबत का प्रश्न ही कहां है? ।
लेकिन जो वकील है, वह कह रहा है-पिताजी ! अभी घाव को ठीक नहीं करना है। इसे बढ़ने दें। जब घाव गहरा हो जाएगा तब मैं दावा करूंगा
और पूरा हर्जाना वसूल करूंगा। यही मेरी मुसीबत है। समाधान है लेश्या
यह जीवन का संघर्ष है, टकराहट है । व्यक्ति दोनों ओर से खिंचा जा रहा है। एक लड़का कहता है-ठीक कर लें और एक लड़का कह रहा है-घाव को और गहरा होने दें। यह जीवन का विचित्र संघर्ष है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति जी रहा है और संघर्षों को झेल रहा है। परिवार का संघर्ष है, भाई-भाई का संघर्ष है, पति-पत्नी का संघर्ष है, समाज के साथ भी संघर्ष है । राजनीति में चले जाएं तो संघर्ष ही संघर्ष हैं। इस टकराहट, संघर्ष और प्रतिस्पर्धा की स्थिति में आदमी स्वस्थ, शांत एवं संतुलित जीवन कैसे जिए, यह एक प्रश्न है और इसका समाधान है लेश्या का प्रयोग । हम नमस्कार मंत्र का पांच रंगों के साथ प्रयोग करें, शान्त एवं संतुलित जीवन की बात हाथ में आ जाएगी। ये बाहरी संघर्ष चलते रहेंगे, दुनियां का स्वभाव मिटेगा नहीं पर व्यक्ति
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