Book Title: Apna Darpan Apna Bimb
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 186
________________ लेश्या और रंग ૧૬૯ के रूप में ही परिणत नहीं होती किन्तु वह कापोत लेश्या, तेजोलेश्या, पद्म लेश्या और शुक्ल लेश्या के रूप में भी परिणत हो जाती है। थोड़े अच्छे पुद्गलों का योग मिला, कृष्ण लेश्या के पुद्गल नील लेश्या में बदल गए । पीत लेश्या के पुद्गलों का योग मिला,कृष्ण लेश्या के पुद्गल पद्म लेश्या में बदल गए। तेजोलेश्या के पुद्गलों का योग मिला, कृष्ण लेश्या तेजालेश्या के रूप में परिणत हो गई। शुक्ल लेश्या के पुद्गलों का योग मिला, कृष्ण लेश्या शुक्ल लेश्या में बदल गई। परिवर्तन का सिद्धान्त हम लेश्या ध्यान का प्रयोग करते हैं, उसका आधार क्या है? उसका आधार है प्रज्ञापना का यह प्रकरण, जिसमें लेश्या परिवर्तन का सिद्धान्त प्रतिपादित है। हम रंगों के आधार पर लेश्या को बदल सकते हैं। हम सफेद रंग का ध्यान करते हैं, इसका अर्थ है-यदि कृष्ण लेश्या या अन्य किसी लेश्या के जो परिणाम विद्यमान हैं तो वे शुक्ल लेश्या में बदल जाएंगे। यह लेश्या परिवर्तन का सिद्धान्त बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है। हम अनेक बार देखते हैं-व्यक्ति के सामने कोई स्थिति आती है और व्यक्ति बदल जाता है। स्थूल रूप में हमारा निष्कर्ष होता है-एक घटना घटी और आदमी बदल गया । वस्तुतः स्थूल घटना के साथ-साथ रंग भी बदल जाते हैं और आदमी का अंतःकरण भी बदल जाता है। महाराणा प्रताप और शक्तिसिंह महाराणा प्रताप और शक्तिसिंह-दोनों भाई शिकार खेलने के लिए जंगल में गए । विजयादशमी का दिन था। दोनों भाइयों ने बाण चलाया और एक हिरण को मार डाला। बाण चला और हिरण मर गया, यह एक घटना घटी और इस घटना को लेकर एक विवाद भी छिड़ गया। प्रताप ने कहा - हिरण मेरे बाण से मरा है। शक्तिसिंह ने कहा-हिरण मेरे बाण से मरा है। इस बात को लेकर भाइयों में विवाद बढ़ गया। दोनों भाई बहुत शक्तिशाली Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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