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लेश्या सिद्धान्त : ऐतिहासिक अवलोकन
१४६ किए हैं। इसका एक कारण यह रहा-उनके सामने पूरी परंपरा नहीं थी। एक दो ग्रंथ पढ़ लिए और उनके आधार पर अनुमान प्रस्तुत कर दिया। यद्यपि उनमें प्रतिभा है, बुद्धि है, उनका कुछ स्टेण्डर्ड है, कुछ तरीके और कसौटियां हैं किन्तु परंपरा के अभाव में उनके अनेक निर्णय सही नहीं ठहरते । उनका निष्कर्ष रहा - आजीवक संप्रदाय काफी पुराना रहा है और महावीर ने उनसे काफी बातें ली। एक है नग्नता। महावीर ने नग्नता आजीवक संप्रदाय से ली। कष्ट सहने की परंपरा महावीर ने आजीवक संप्रदाय से ली। ऐसी बहुत सारी बातों के बारे में लिखा गया है । इतिहास की दृष्टि से ये सारी बातें विमर्शनीय हैं। इनमें से कुछ बातों का काफी खंडन हो चुका है। ऐसे ही अनुमान किया गया-लेश्या का सिद्धान्त आजीवकों से लिया गया है। छह अभिजातियां
पहली बात यह है-ये जो छह अभिजातियां हैं, वे आजीवक संप्रदाय की नहीं हैं। उस समय जो छह तीर्थंकर कहलाते थे, उनमें एक तीर्थकर थे पूरणकश्यप । पूरणकश्यप ने इन छह अभिजातियों का वर्णन किया है। उनके द्वारा प्रस्तुत वर्गीकरण लेश्या के सिद्धान्त जैसा वर्गीकरण नहीं है। यद्यपि नाम कृष्णाभिजाति, नीलाभिजाति आदि मिलते हैं किन्तु इनका आधार सर्वथा दूसरा है। इन अभिजातियों का वर्गीकरण इस प्रकार है१. कृष्णाभिजाति
क्रूर कर्म करने वाले २. नीलाभिजाति
बौद्ध भिक्षु ३. लोहिताभिजाति
एक शाटक निग्रंथ ४. हारिद्राभिजाति
श्वेत वस्त्र धारी या निर्वस्त्र
मुनि ५. शुक्लाभिजाति
आजीवक ६. परमशुक्लाभिजाति आजीवक आचार्य निर्ग्रन्थों की परंपरा
इनमें एक शाटक निग्रंथों की परंपरा थी । जैन मुनि एक शाटक कंधे पर डाल लेते, न कुछ नीचे पहनते और न कुछ ऊपर ओढते । जब महावीर
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