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दीर्घश्वास प्रेक्षा स्वतंत्र संस्थान स्थापित हुआ है। पचासों वैज्ञानिक श्वास पर रिसर्च कर रहे हैं । श्वास का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उन वैज्ञानिकों का कहना है-लंबा श्वास लीजिए और अपने जीवन को बचाइए । हम जितना लंबा श्वास लेंगे, अपने जीवन को बचाएंगे, आयु को लम्बा करेंगे । जितना छोटा श्वास लेंगे, जीवनी शक्ति को उतना ही क्षीण करेंगे । हमें आयुष्य को पूरा भोगना है पर कितने समय में भोगना है, यह हमारे हाथ में भी है । हमने आयुष्य के पुद्गल इतने जमा कर रखे हैं कि ठीक से जिएं तो दो-तीन सौ वर्ष तक जी सकते हैं । रूस के एक वैज्ञानिक ने घोषणा की है-आदमी में इतनी ताकत है कि वह तीन सौ वर्ष तक जी सकता है। कठिनाई यह है-हमने इतने पाहुनों को बुला रखा है कि वे तीन सौ वर्षों तक चलने वाली हमारी सामग्री को पचास-साठ वर्षों में ही समाप्त कर देते हैं। उपेक्षा न करें
श्वास नियामक है, वह रोकता है । अकाल मृत्यु के जितने भी कारण हैं, उन सबको श्वास रोकता है । हम मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से, भावात्मक स्वास्थ्य की दृष्टि से और नियंत्रण की दृष्टि से श्वास का मूल्यांकन करें । उसकी उपेक्षा न करें । यदि छोटे बच्चों को प्रारम्भ से ही प्रतिदिन बीस मिनट दीर्घश्वास का प्रयोग कराया जाए तो उनके जीवन में एक नई शक्ति, नई स्फूर्ति और नए प्रकाश का अनुभव होगा। मैं यह मानता हूं, यह आनापान, जो नामकर्म की एक प्रकृति है, शायद अंतराय कर्म के क्षयोपशम में बहुत बड़ा कारण है, ज्ञानावरण एवं दर्शनावरण के क्षयोपशम में बहुत बड़ा कारण है और मोहनीय कर्म के क्षयोपशम में भी बहुत बड़ा आलंबन बन सकता है। प्रेक्षा-ध्यान का महत्त्वपूर्ण प्रयोग है दीर्घश्वास प्रेक्षा । हम इसका लाभ उठाएं। इस दिशा में चलना शुरू करें, चलते-चलते एक दिन अवश्य ही मंजिल पर पहुंच जाएंगे।
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