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अपना दर्पणः अपना बिम्ब ठहरने के अनेक अड्डे (स्टेशन) बने हुए हैं वैसे ही हमारे शरीर में वृत्तियों के ठहरने के बहुत स्टेशन बने हुए हैं । भीतर से वृत्तियों की ट्रेनें आती हैं, बाहर आकर स्थूल शरीर में ठहर जाती हैं और अपना काम कर लेती हैं।
शराब के प्रति घटता रुझान : कारण
रूस के वैज्ञानिक शराब छुड़वाने के अनेक प्रयोग कर रहे हैं । वहां शराब खुले आम चलती है किन्तु शराब के जो परिणाम सामने आ रहे हैं, उनसे लोग आतंकित बन गए हैं । अमेरिका, यूरोप, जापान आदि देशों के नागरिक भी शराब के प्रति सतर्क होते जा रहे हैं । शराब की जो बुराइयां प्रकाश में आई हैं, उससे शराब छोड़ने के प्रति लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है । वे इसलिए छोड़ते है कि उससे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है। शराब छोड़ने का कारण आध्यात्मिक दृष्टिकोण नहीं है । यह सुनकर आश्चर्य हो सकता है - जब इस बात की स्पष्ट घोषणा की गई-सिगरेट से स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है, इससे कैंसर की बीमारी भी हो जाती है तब लोगों में हड़कंप सा मच गया। अकेले अमरीका में दो करोड़ लोगों ने सिगरेट पीना छोड़ दिया । स्वास्थ्य के प्रति कितने जागरूक हैं अमेरिकन लोग । हम लोग अध्यात्म की बात छोड़ दें, अपने जीवन और स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक नहीं हैं। सोवियत रूस जैसे देश में जहां धर्म की चर्चा नहीं है, धर्म की स्पष्ट अवधारणा नहीं है वहां सिगरेट और शराब को छोड़ने के उपाय ढूंढे जा रहे हैं। किसी भी व्यसन की आदत पड़ जाने के बाद उसे छोड़ना बहुत मुश्किल होता है। पहले तो व्यक्ति शौकिया तौर पर नशा करता है और फिर धीरे-धीरे वह एक आदत बन जाती है । एक शराब आती है तो सारे व्यसनों के लिए दरवाजे 'खुल जाते हैं, अन्यान्य बुराइयां भी बेरोकटोक प्रवेश कर सकती हैं ।
चैतन्य केन्द्र का प्रभाव
एक वैज्ञानिक ने प्रयोग किया - नशे की आदत से ग्रस्त व्यक्तियों के कान पर विद्युत् सेंसेशन (प्रकंपन) दिए । सत्तर आदमियों को विद्युत् के झटके
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