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लेश्या : भावधारा
तुम्हारी इच्छा क्या है? तुम्हारी भावना क्या है? तुम क्या सोचते हो? ये तीन प्रयोग हमारी चेतना के तीन स्तरों को अभिव्यक्त करते हैं। हमारी चेतना के कई स्तर हैं । इन स्तरों के आधार पर भाषा के भी अलग-अलग प्रयोग विकसित हुए हैं । 'तुम्हारी इच्छा क्या है' इस वाक्य में कोई चिन्तन नहीं है, मन का भी सवाल नहीं है । यह मन से परे की बात है । इच्छा चेतना का बहुत गहरा स्तर है। मन बहुत ऊपर रह जाता है। इच्छा का स्तर
एक व्यक्ति ने दर्जी को अपना कोट सिलाई के लिए दिया। कुछ दिन बीत गए । उस व्यक्ति ने दर्जी से कहा-मेरे कोट की सिलाई की या नहीं? मेरा कोट कब दोगे? दर्जी ने कहा - जब भगवान् की मर्जी होगी। व्यक्ति यह उत्तर सुनकर चला गया । चार पांच दिन बाद उसने फिर वही प्रश्न पूछा-मेरा कोट कब दोगे? दर्जी ने फिर वही उत्तर दोहरा दिया। तीसरी बार भी दर्जी ने वही उत्तर दिया। उस व्यक्ति ने कहा-भगवान् की मर्जी जाने दो, तुम्हारी मर्जी कब होगी, यह बताओ।
भावना का स्तर
आदमी इच्छा के आधार पर, इच्छा की चेतना के आधार पर काम करता है । यह इच्छा का स्तर गहराई में है । उससे आगे भावना का स्तर है। 'तुम्हारी भावना क्या है' यह भावना होने का स्तर है। इसके नीचे रहती है इच्छा । क्या होना है? जो घटित हो रहा है, अपने आप हो रहा है और
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