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अपना दर्पणः अपना बिम्ब
भी पीता हूं तो बदबू आती है, वमन होने लग जाती है । मुंह को साफ रखने के लिए इलायची भी खानी पड़ती है।
यह है रासायनिक परिवर्तन, आंतरिक परिवर्तन ।
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बदलाव : भीतर भी बाहर भी
आदमी भीतर से बदलता है, इसका अर्थ है - वह बाहर भी बदल जाता है । हम इस सचाई को जानें, आदमी विचार के स्तर पर नहीं बदलता । यदि वह विचार के स्तर पर बदलता तो एक बार प्रवचन सुनने वाला व्यक्ति बदल जाता । पर ऐसा होता नहीं है । प्रश्न है - परिवर्तन क्यों नहीं होता ? कारण यही है- हम विचार पर बहुत भरोसा कर बैठे हैं, भीतर पर भरोसा बहुत कम है और विचार का स्तर बहुत गहरा नहीं है । जब तक हम भीतर की चेतना तक नहीं जाएंगे तब तक बदलने की बात संभव नहीं बन पाएगी । चरित्र भीतर से आ रहा है, हिंसा, झूठ, कपट - सब भीतर से आ रहे हैं।
राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के जीवन की घटना है। जब वे वकालात का कार्य कर रहे थे तब उनके सामने एक केस आया । मुवक्किल ने अपने केस के बारे में विस्तार से बताया । लिंकन ने केस का अध्ययन करने के बाद उसे लौटा दिया । मुवक्किल ने पूछा- क्यों लौटा रहे हैं आप ? मैं आपके पास बड़ी आशा से आया था । लिंकन बोले - कानूनी दृष्टि से मैं यह केस जीत सकता हूं परन्तु सचाई की दृष्टि से यह केस झूठा है। जब मैं न्यायालय में बोलूंगा तब मेरे भीतर से यह आवाज आएगी - लिंकन ! तुम झूठ बोल रहे हो और कहीं ऐसा न हो - मैं न्यायालय में ही यह कह दूं कि मैं झूठ बोल रहा
हूं
विचार का स्तर : अंतश्चेतना का स्तर
ये दो स्तर हमारे सामने हैं । बौद्धिकता का स्तर है-केस को जीता जा सकता है और आंतरिक चेतना का स्तर है - केस को लड़ा नहीं जा सकता । दो स्तर हैं - विचार का स्तर और अंतश्चेतना का स्तर । चरित्र का संबंध विचार
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