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शक्ति जागरण का प्रयोग
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यह पिच्युटरी ग्लैण्ड का प्रभाव क्षेत्र है। हठयोग में इसे आज्ञाचक्र कहा जाता है। योगविद्या के अनुसार इसके दो दल होते हैं । यहां इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना - तीनों प्राण-प्रवाहों का संगम होता है।
ज्योति केन्द्र
ज्योति केन्द्र ललाट के मध्य भाग में स्थित है । यह पीनियल ग्लैण्ड का प्रभाव क्षेत्र है। हठयोग के कुछ आचार्य नौ चक्र मानते हैं। उनके अनुसार तालु के मूल में चौंसठ दलवाला ललना-चक्र विद्यमान है। इससे ज्योति केन्द्र की तुलना की जा सकती है।
शांति केन्द्र
शान्ति केन्द्र अग्रमस्तिष्क में स्थित है। इसका संबंध मनुष्य की भावधारा से है । यह अवचेतक मस्तिष्क (हाइपोथेलेमस) का प्रभाव क्षेत्र है। ज्ञान केन्द्र
ज्ञान केन्द्र केन्द्रीय नाड़ी संस्थान का प्रमुख स्थान है । लघु मस्तिष्क, बृहन् - मस्तिष्क एवं पश्च- मस्तिष्क के विभिन्न भाग इससे सम्बद्ध हैं। यह अतीन्द्रिय चेतना का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है । हठयोग के सहस्रार चक्र से इसकी तुलना की जा सकती है।
उपाय जागरण का
चैतन्य केन्द्रों की शक्ति को जागृत करने के अनेक उपाय हैं। उनमें आसन, प्राणायाम, जप आदि उल्लेखनीय हैं। इनसे भी अधिक शक्तिशाली उपाय है- प्रेक्षा । एकाग्रता के साथ जिस चैतन्य केन्द्र को देखा जाता है, उसमें प्रकंपन शुरू हो जाते हैं। वे प्रकम्पन सुप्त शक्ति को जगा देते हैं । प्रेक्षा की पद्धति यह है - पद्मासन, वज्रासन अथवा सुखासन में से किसी एक सुविधाजनक आसन का चुनाव करें, आसन में आसीन होकर कायोत्सर्ग (जागरूकतापूर्ण शिथिलीकरण) करें । फिर प्रेक्षा के लिए चैतन्य केन्द्र का चुनाव करें, धारणा
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