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अपना दर्पणः अपना बिम्ब का अभाव है। अध्यात्म के आचार्यों ने लिखा, हमारे आचरण का कोई चरम बिन्दु है तो वह है समता। जिस दिन समता एवं सामायिक का विकास होगा, वह दिन धन्य होगा । राजनैतिक प्रणाली हो या सामाजिक प्रणाली-हम इन विभिन्न प्रणालियों का समता के नियमों के द्वारा संचालन करें तो एक स्वस्थ एवं शान्तिपूर्ण जीवन प्रणाली का विकास हो सकता है। उनमें एक नियम है स्वर चक्र के संतुलन का, समवृत्ति श्वास प्रेक्षा का । इसके द्वारा वृत्तियों में संतुलन स्थापित कर समतामय जीवन का निर्माण किया जा सकता है ।
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