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अपना दर्पणः अपना बिम्ब है । इस बात का दूसरा पहलू भी देखो-जिसे तुम दुश्मन मान रहे हो, वह तुम्हारा शत्रु नहीं है । इस थोड़े से जीवन के लिए दूसरों के प्रति शत्रुबुद्धि रखकर तुम खिन्न क्यों हो रहे हो? प्रतिक्रिया विरतिः महत्त्वपूर्ण चिन्तन ___बाहरी उद्दीपन और आंतरिक कषाय की प्रबलता-दोनों के योग से होने वाली प्रतिक्रिया में शत्रुता का भाव पैदा होना स्वाभाविक है। भगवती सूत्र का एक पूरा प्रकरण है, जिसमें प्रतिक्रियाविरति का महत्त्वपूर्ण चिन्तन है । प्रतिक्रिया को रोकने में वह प्रकरण शायद जहर को अमृत बनाने वाला या समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाने वाला है।
गौतम ने भगवान् महावीर के समक्ष जिज्ञासा प्रस्तुत की-भंते! यह जीव माता-पिता, भाई, सगे-संबंधी के रूप में उत्पन्न हुआ है ?
महावीर ने उत्तर दिया-हां, गौतम । गौतम ने फिर पूछा-भगवान् ! वह अनेक बार बना है या अनंत बार?
महावीर ने कहा-अनेक बार भी और अनंत बार भी । संसार एक कुटुम्ब है
इसका अर्थ है-सारा संसार एक कुटुम्ब है । सारा संसार एक दूसरे से जुड़ा हुआ है । मेरे हाथ में एक कपड़ा है । यह कपड़ा मेरे हाथ से जुड़ा हुआ है । प्रश्न है-क्या यह दूसरों के हाथ से भी जुड़ा हुआ है? अनेकान्त–दृष्टि से विचार करें तो यह कपड़ा दुनिया भर के पदार्थों से जुड़ा हुआ है । एक भी परमाणु या एक भी जीव ऐसा नहीं है, जिसका संबंध इस कपड़े के साथ न हो । यह है अनेकान्त का सिद्धान्त । कहा गया इस कपड़े के आसपास अनंत जीव हैं। पांच काय के सूक्ष्म जीव सारे लोक में भरे हुए हैं। कपड़ा इन जीवों से जुड़ा हुआ है । इस कपड़े के भीतर भी जीव हैं, इसके बाहर भी जीव हैं । इसके दाएं बाएं भी जीव हैं । चारो ओर जीव ही जीव हैं और उन जीवों से यह कपड़ा जुड़ा हुआ है । यह है जीव का जुड़ाव ।
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