________________
३४
अपना दर्पणः अपना बिम्ब
मानसिक स्वास्थ्य, बौद्धिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्वास्थ्य-इन सबके साथ भोजन का संबंध है । दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं-शारीरिक विकास, मानसिक विकास, बौद्धिक विकास और भावनात्मक विकास-इस विकास चतुष्टयी के साथ भोजन का संबंध है। परिमित भोजन : संतुलित भोजन
विज्ञान की दृष्टि से भोजन का संबंध स्वास्थ्य के साथ है । भोजन की कैलोरी (भोजन की ऊर्जा मापने की शक्ति) कितनी होनी चाहिए ? भोजन में क्या-क्या होना चाहिए? कितनी ऊर्जा मिलनी चाहिए ? मात्रा कितनी होनी चाहिए? इस सारे संदर्भ में विज्ञान ने संतुलित भोजन की बात पर बल दिया। प्राचीन शब्द है परिमित भोजन । आज का शब्द है संतुलित भोजन । वर्तमान खाद्य और पोषक वैज्ञानिकों ने भी भोजन की मात्रा निर्धारित की है । आगम साहित्य में परिमित भोजन की बहुत चर्चा है । उसमें ऊनोदरी की दृष्टि से परिमित भोजन की परिभाषा की गई है । एक व्यक्ति के पूर्ण भोजन की मात्रा निर्धारित की गई बत्तीस कवल । बत्तीस कवल से जितना कम खाया जाता है वह ऊनोदरी है। बत्तीस कवल से एक कवल कम खाना भी ऊनोदरी है, पांच या दस कवल कम खाना भी ऊनोदरी है । भगवती सूत्र का एक पूरा प्रकरण है, जिसमें ऊनोदरी की मात्रा का विशद विवेचन किया गया है । मात्रा संतुलित भोजन की
वर्तमान वैज्ञानिकों का तरीका दूसरा है । हम चिकनाई का संदर्भ लें। खाने में चिकनाई की मात्रा कितनी होनी चाहिए? संतुलित और परिमित भोजन की दृष्टि से देखें तो डेढ़ सौ ग्राम चिकनाई की जरूरत है । एक दिन में एक स्वस्थ व्यक्ति को इससे अधिक मात्रा में चिकनाई नहीं खानी चाहिए । चाहे वह चिकनाई चुपड़े हुए फुलके में आए, साग में आए, दूध, दही या घी में आए । परिमित भोजन का यह नियम स्वास्थ्य की दृष्टि से किया गया । संतलित भोजन की एक तालिका है खाद्य मंत्रालय की । संयुक्त राष्ट्र संघ का जो स्वास्थ्य विभाग है, विश्व स्वास्थ्य संगठन है, उसके द्वारा प्रसारित
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org