Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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छठा शतक : उद्देशक-८ जीवों के आयुष्यबंध के प्रकार एवं जातिनामनिधत्तादि बारह दण्डकों की चौबीस दण्डकीय जीवों में प्ररूपणा
२७. कतिविहे णं भंते ! आउयबंधे पण्णत्ते ?
गोयमा ! छव्विहे आउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा–जातिनामनिहत्ताउए गतिनामनिहत्ताउए ठितिनामनिहत्ताउए ओगाहणानामनिहत्ताउए पदेसनामनिहत्ताउए अणुभागनामनिहत्ताउए।
[२७ प्र.] भगवन् ! आयुष्यबंध कितने प्रकार का कहा गया है ?
[२७ उ.] गौतम ! आयुष्यबंध छह प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार—(१) जातिनामनिधत्तायु, (२) गतिनामनिधत्तायु (३) स्थितिनामनिधत्तायु, (४) अवगाहनानामनिधत्तायु, (५) प्रदेशनामनिधत्तायु और (६) अनुभागनामनिधत्तायु।
२८. एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं। [२८] यावत् वैमानिकों तक दण्डक कहना चाहिए। २९. जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहत्ता गतिनामनिहत्ता जाव अणुभागनामनिहत्ता ? गोतमा ! जातिनामनिहत्ता वि जाव' अणुभागनामनिहत्ता वि। [२९ प्र.] भगवन् ! क्या जीव जातिनामनिधत्त हैं ? गतिनामनिधत्त हैं ? यावत् अनुभागनामनिधत्त हैं ? [२९ उ.] गौतम ! जीव जातिनामनिधत्त भी हैं, यावत् अनुभागनामनिधत्त भी हैं। ३०. दंडओ जाव वेमाणियाणं। [३०] यह दण्डक यावत् वैमानिक तक कहना चाहिए। ३१. जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहित्ताउया जाव अणुभागनामनिहित्ताउया ? गोयमा ! जातिामनिहत्ताउया वि जाव अणुभागनामनिहित्ताउया वि। [३१ प्र.] भगवन् ! क्या जीव जातिनामनिधत्तायुष्क हैं, यावत् अनुभागनामनिधत्तायुष्क हैं ? [३१ उ.] गौतम ! जीव जातिनामनिधत्तायुष्क भी हैं,यावत् अनुभागनामनिधत्तायुष्क भी हैं। ३२. दंडओ जाव वेमाणियाणं। [३२] यह दण्डक यावत् वैमानिक तक कहना चाहिए।
३३. एवमेए दुवालस दंडगा भाणियव्वा-जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहत्ता १, जाति नामनिहत्ताउया० २, जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिउत्ता ३, जातिनामनिउत्ताउया० ४, जातिगोय१. 'जाव' पद से नैरयिक से लेकर वैमानिक पर्यन्त दण्डक समझें। २. 'जाव' पद से 'ठिति-ओगाहणा-पएस' आदि पद 'निहत्त' पदान्त समझ लेने चाहिए।