Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र १०५.[१] सामाइयचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अन्नाणी ? गोयमा ! नाणी, केवलवज्जाइं चत्तारि नाणाई भयणाए। [१०५-१ प्र.] भगवन् ! सामायिकचारित्रलब्धिमान् जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? [१०५-१ उ.] गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं। उनमें केवलज्ञान के सिवाय चार ज्ञान भजना से होते हैं। [२] तस्स अलद्धियाणं पांच नाणाइं तिण्णि य अण्णाणाई भयणाए। [१०५-२] सामायिकचारित्रलब्धिरहित जीवों में पाँच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं।
१०६. एवं जहा सामाइयचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भणिया एवं जाव अहक्खायचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भाणियव्वा, नवरं अहक्खायचरित्तलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए।
[१०६] इसी प्रकार यथाख्यातचारित्रलब्धि वाले जीवों तक का कथन सामायिकचारित्रलब्धियुक्त जीवों के समान करना चाहिए। इतना विशेष है कि यथाख्यातचारित्रलब्धिमान् जीवों में पांच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। इसी तरह यथाख्यातचारित्रलब्धिरहित जीवों तक का कथन सामायिकलब्धिरहित जीवों के समान करना चाहिए।
१०७.[१] चरित्ताचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अण्णाणी?
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी। अत्थेगतिया दुण्णाणी, अत्थेगतिया तिण्णाणी। जे दुन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी य, सुयनाणी य। जे तिन्नाणी ते आभि० सुयना० ओहिनाणी य।
[१०७-१ प्र.] भगवन् ! चारित्राचारित्र (देशचारित्र) लब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, अथवा अज्ञानी हैं ? __ [१०७-१ उ.] गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें से कई दो ज्ञान वाले, कई तीन ज्ञान वाले होते हैं। जो दो ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोंधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी होते हैं, जो तीन ज्ञान वाले होते हैं, वे आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी होते हैं।
[२] तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई, तिण्णि अण्णाणाई भयणाए। [१०७-२] चारित्राचारित्रलब्धि-रहित जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। १०८.[१] दाणलद्धियाणं पंच नाणाई, तिणि अण्णाणाई भयणाए। [१०८-१] दानलब्धिमान् जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। [२] तस्स अलद्धीया णं० पुच्छा। गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी नियमा। एगनाणी-केवलनाणी। [१०८-२ प्र.] भगवन् ! दानलब्धिरहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? [१०८-२ उ.] गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें नियम से एकमात्र केवलज्ञान होता है।