Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अष्टम शतक : उद्देशक - ९
[३४ प्र.] भगवन्! एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबंध क्या देशबंध है या सर्वबंध है ?
[ ३४ उ.] गौतम! पूर्वोक्त कथनानुसार यहां भी जानना चाहिए।
३५. एवं पुढविकाइया |
[३५] इसी प्रकार पृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबंध के विषय में समझना चाहिए। ३६. एवं जाव मणुस्सपंचिंदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! किं देसबंधे, सव्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि ।
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[३६ प्र.] इसी प्रकार यावत् भगवन् ! मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबंध क्या देशबंध है या सर्वबंध है ?
[३६ उ.] गौतम ! वह देशबंध भी है और सर्वबंध भी है—यहाँ तक कहना चाहिए।
३७. ओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ?
गोमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहन्त्रेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं इं
[ ३७ प्र.] भगवन्! औदारिकशरीर-प्रयोगबंध काल की अपेक्षा, कितने काल तक रहता है ?
[ ३७ उ.] गौतम! सर्वबंध एक समय तक रहता है और देशबंध जघन्यतः एक समय और उत्कृष्टतः एक समय कम तीन पल्योपम तक रहता है ।
३८. एगिंदियओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं समऊणाई ।
[३८ प्र.] भगवन्! एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबंध कालतः कितने काल तक रहता है ?
[ ३८ उ.] गौतम! सर्वबंध एक समय तक रहता है और देशबंध जघन्यतः एक समय और उत्कृष्टतः एक समय कम २२ हजार वर्ष तक रहता है।
३९. पुढविकाइयएगिदिय० पुच्छा ।
गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहन्त्रेणं खुड्डागभवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं समऊणाई ।
[३९ प्र.] भगवन्! पृथ्वीकायिक- एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर-प्रयोगबंध कालत: कितने काल तक रहता
है ?
[३९ उ.] गौतम! सर्वबंघ एक समय तक रहता है और देशबंध जघन्यतः तीन समय कम क्षुल्लक