Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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नवम शतक : उद्देशक-३१
[१८ उ.] गौतम! वह साकारोपयोग-युक्त भी होता है और अनाकारोपयोग-युक्त भी होता है। १९. से णं भंते ! कयरम्मि संघयणे होज्जा ? गोयमा ! वइरोसभनारायसंघयणे होज्जा। [१९ प्र.] भगवन् ! वह किस संहनन में होता है ? [१९ उ.] गौतम! वह वज्रऋषभनाराचसंहनन वाला होता है। २०. से णं भंते ! कयरिम्म संठाणे होज्जा? गोयमा ! छण्हं संठाणाणं अन्नयरे संठाणे होज्जा। [२० प्र.] भगवन् ! वह किस संस्थान में होता है ? [२० उ.] गौतम! वह छह संस्थानों में से किसी भी संस्थान में होता है। २१. से णं भंते ! कयरिम्म उच्चत्ते होज्जा? गोयमा ! जहन्नेणं सत्त रयणी, उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होज्जा। [२१ प्र.] भगवन् ! वह कितनी ऊँचाई वाला होता है ? [२१ उ.] गौतम! वह जघन्य सात हाथ (रनि) और उत्कृष्ट पाँच सौ धनुष ऊँचाई वाला होता है। २२. से णं भंते ! कयरम्मि आउए होज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगट्ठावासाउए, उक्कोसेणं पुव्वकोडिआउए होज्जा। [२२ प्र.] भगवन् ! वह कितनी आयुष्य वाला होता है ? [२२ उ.] गौतम! वह जघन्य साधिक आठ वर्ष और उत्कृष्ट पूर्वकोटि आयुष्य वाला होता है। २३.[१] से णं भंते ! किं सवेदए होज्जा, अवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो अवेदए होज्जा। [२३-१ प्र.] भगवन् ! वह सवेदी होता है या अवेदी ?. [२३-१ उ.] गौतम! वह सवेदी होता है, अवेदी नहीं होता।
[२] जइ सवेदए होज्जा किं इत्थीवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, नपुंसगवेदए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए होज्जा? ।
गोयमा ! नो इत्थिवेदए होजा, पुरिसवेदए वा होज्जा, नो नपुंसगवेदए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा।
[२३-२ प्र.] भगवन् ! यदि वह सवेदी होता है तो क्या स्त्रीवेदी होता है, पुरुषवेदी होता है, नपुंसकवेदी