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________________ ४५१ नवम शतक : उद्देशक-३१ [१८ उ.] गौतम! वह साकारोपयोग-युक्त भी होता है और अनाकारोपयोग-युक्त भी होता है। १९. से णं भंते ! कयरम्मि संघयणे होज्जा ? गोयमा ! वइरोसभनारायसंघयणे होज्जा। [१९ प्र.] भगवन् ! वह किस संहनन में होता है ? [१९ उ.] गौतम! वह वज्रऋषभनाराचसंहनन वाला होता है। २०. से णं भंते ! कयरिम्म संठाणे होज्जा? गोयमा ! छण्हं संठाणाणं अन्नयरे संठाणे होज्जा। [२० प्र.] भगवन् ! वह किस संस्थान में होता है ? [२० उ.] गौतम! वह छह संस्थानों में से किसी भी संस्थान में होता है। २१. से णं भंते ! कयरिम्म उच्चत्ते होज्जा? गोयमा ! जहन्नेणं सत्त रयणी, उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होज्जा। [२१ प्र.] भगवन् ! वह कितनी ऊँचाई वाला होता है ? [२१ उ.] गौतम! वह जघन्य सात हाथ (रनि) और उत्कृष्ट पाँच सौ धनुष ऊँचाई वाला होता है। २२. से णं भंते ! कयरम्मि आउए होज्जा ? गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगट्ठावासाउए, उक्कोसेणं पुव्वकोडिआउए होज्जा। [२२ प्र.] भगवन् ! वह कितनी आयुष्य वाला होता है ? [२२ उ.] गौतम! वह जघन्य साधिक आठ वर्ष और उत्कृष्ट पूर्वकोटि आयुष्य वाला होता है। २३.[१] से णं भंते ! किं सवेदए होज्जा, अवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो अवेदए होज्जा। [२३-१ प्र.] भगवन् ! वह सवेदी होता है या अवेदी ?. [२३-१ उ.] गौतम! वह सवेदी होता है, अवेदी नहीं होता। [२] जइ सवेदए होज्जा किं इत्थीवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, नपुंसगवेदए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए होज्जा? । गोयमा ! नो इत्थिवेदए होजा, पुरिसवेदए वा होज्जा, नो नपुंसगवेदए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा। [२३-२ प्र.] भगवन् ! यदि वह सवेदी होता है तो क्या स्त्रीवेदी होता है, पुरुषवेदी होता है, नपुंसकवेदी
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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