Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 645
________________ ६१४ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र (३) याचनी—याचना करने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली भाषा। जैसे—मुझे सिद्धि प्रदान करें। (४) पृच्छनी- अज्ञात या संदिग्ध पदार्थों को जानने के लिए पृच्छा व्यक्त करने वाली। जैसे'इनका अर्थ क्या है ?' (५) प्रज्ञापनी-उपदेश या निवेदन करने के लिए प्रयुक्त की गई भाषा । जैसे—मृषावाद अविश्वास का हेतु है। अथवा ऐसे बैठेंगे, लेटेंगे इत्यादि। . (६)प्रत्याख्यानी—निषेधात्मक भाषा। जैसे–चोरी मत करो अथवा मैं चोरी नहीं करूंगा। (७) इच्छानुलोमा- दूसरे की इच्छा का अनुसरण करना अथवा अपनी इच्छा प्रकट करना। (८) अनभिगृहीता–प्रतिनियत (निश्चित) अर्थ का ज्ञान न होने पर उसके लिए बोलना। (९) अभिगृहीता- प्रतिनियत अर्थ का बोध कराने वाली भाषा। (१०) संशयकरणी- अनेकार्थवाचक शब्द का प्रयोग करना। (११) व्याकृता-स्पष्ट अर्थवाली भाषा। (१२) अव्याकृता-अस्पष्ट उच्चारण वाली या गंभीर अर्थ वाली भाषा। .. 'हम आश्रय करेंगे' इत्यादि भाषा यद्यपि भविष्यत्कालीन है, तथापि वर्तमान सामीप्य होने से प्रज्ञापनी भाषा है, जो असत्य नहीं है। ॥ दशम शतक : तृतीय उद्देशक समाप्त॥ १. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ४९९-५००

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