Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र छोड़ देने पर यह एक विकल्प होता है।) इस प्रकार रत्नप्रभा के ५+४+३+२+१ = १५ विकल्प होते हैं।
(१६) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है, (१७) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है, (१८-१९) यावत् अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक बालुकाप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (इस प्रकार शर्कराप्रभा और बालुकाप्रभा के साथ चार विकल्प होते हैं।) ।
(२०) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है, (२१-२२) यावत् अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (इस प्रकार बालुकाप्रभा को छोड़ देने पर शर्कराप्रभा और पंकप्रभा के साथ तीन विकल्प होते हैं।)
(२३) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है।
(२४) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (इस प्रकार पंकप्रभा को छोड़ देने पर, शर्कराप्रभा और धूमप्रभा के साथ दो विकल्प होते हैं।
(२५) अथवा एक शर्कराप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (इस प्रकार धूमप्रभा को छोड़ देने पर एक विकल्प होता है। यों शर्कराप्रभा के साथ ४+३+२+१ = १० विकल्प होते हैं।)
(२६) अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है। (२७) अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है, (२८) अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। अथवा (२९) एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है। (३०) अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (३१) अथवा एक बालुकाप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (इस प्रकार बालुकाप्रभा के साथ ३+२+१ = ६ विकल्प होते हैं।)
___(३२) अथवा एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है। (३३) अथवा एक पंकप्रभा में, एक धूमप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (यों पंकप्रभा और धूमप्रभा के साथ दो विकल्प होते हैं।) (३४) अथवा एक पंकप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (इस प्रकार पंकप्रभा के साथ २ + १ =३ विकल्प होते हैं।)
(३५) अथवा एक धूमप्रभा में, एक तमःप्रभा में और एक अधःसप्तमपृथ्वी में होता है। (इस तरह धूमप्रभापृथ्वी के साथ एक विकल्प होता है।
(र. १५ + श. १० + वा. ६ + पं. ३ + धू. १, यों त्रिकसंयोगी कुल भंग ३५ होते हैं।)
विवेचनतीन नैरयिकों के नरकप्रवेशनकभंग–यदि तीन जीव नरक में उत्पन्न हों तो उनके असंयोगी (एक-एक) भंग७, द्विक संयोगी ४२ और त्रिक संयोगी ३५, ये सब मिलकर ८४ भंग होते हैं । जो