Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अष्टम शतक : उद्देशक - ९
[६१-२] ग्रैवेयककल्पातीत-वैमानिकदेवों के विषय में भी इसी प्रकार जान लेना चाहिए।
[ ३ ] अणुत्तरोववाइयकप्पातीया वेमाणिया एवं चेव ।
[६१-३] अनुत्तरौपपातिककल्पातीत वैमानिकदेवों के विषय में भी पूर्ववत् जान लेना चाहिए। ६२. वेडव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते! किं देशबंधे, सव्वबंधे ?
गोयमा ! देशबंधे वि, सव्वबंधे वि ।
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[६२ प्र.] भगवन्! वैक्रियशरीरप्रयोगबंध क्या देशबंध है, अथवा सर्वबंध है ?
[६२ उ.] गौतम ! वह देशबंध भी है, सर्वबंध भी है ।
६३. वाउक्काइयएगिंदिय。 ?
एवं चेव ।
[६३ प्र.] भगवन्! वायुकायिक- एकेन्द्रिय-वैक्रियशरीरप्रयोगबंध क्या देशबंध है अथवा सर्वबंध है ? [६३ उ.] गौतम ! इसी प्रकार (पूर्ववत्) जानना चाहिए।
६४. रयणप्पभापुढविनेरइय० ?
एवं चेव ।
[६४ प्र.] भगवन् ! रत्नप्रभापृथ्वी- नैरयिक- वैक्रियशरीरप्रयोगबंध देशबंध है या सर्वबंध ?
[६४ उ.] गौतम! इसी प्रकार (पूर्ववत्) जानना चाहिए।
६५. एवं जाव अणुत्तरोववाइया ।
[६५] इसी प्रकार अनुत्तरोपपातिककल्पातीत- वैमानिक देवों तक समझना चाहिए ।
६६. वेडव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ?
गोयमा! सव्वबंधे जहन्त्रेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दो समया । देसबंधे जहन्त्रेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई समयूणाई ।
[६६ प्र.] भगवन्! वैक्रियशरीरप्रयोगबंध, कालत: कितने काल तक रहता है।
[६६ उ.] गौतम ! इसका सर्वबंध जघन्यतः एक समय तक और उत्कृष्टतः दो समय तक रहता है और देशबंध जघन्यतः एक समय और उत्कृष्टतः एक समय कम तेतीस सागरोपम तक रहता है।
६७. वाउक्काइयएगिंदियवेडव्विय. पुच्छा ।
गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहन्त्रेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं । [६७ प्र.] भगवन्! वायुकायिक-एकेन्द्रिय-वैक्रियशरीरप्रयोगबंध कितने काल तक रहता है ?